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अयोध्याः वो तीन महिला नेत्रियां जो रहीं राम मंदिर आंदोलन की अगुवा

नई दिल्ली, 03 अगस्त 2020, राममंदिर आंदोलन में उमा भारती की अहम भूमिका रही 1992 में विध्वंस के समय अयोध्या में थीं विजयाराजे सिंधिया राममंदिर आंदोलन का फायरब्रांड चेहरा रहीं साध्वी ऋतम्भरा अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण का कार्य शुरू हो गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पांच अगस्त को राम मंदिर का भूमि पूजन करेंगे. तीस साल पहले देश भर में राम मंदिर आंदोलन की अलख जगाने में महिलाओं ने भी बेहद सक्रिय भूमिका अदा की थी. राजमाता विजयाराजे सिंधिया, पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती और साध्वी ऋतंभरा आंदोलन की अगुवा महिला चेहरा थीं. इन तीनों महिला नेत्रियों ने राष्ट्र सेविका समिति, दुर्गा वाहिनी और बीजेपी महिला मोर्चा के जरिए राम मंदिर आंदोलन के लिए महिलाओं को प्रेरित करने का काम किया था. राम मंदिर के लिए जेल भरो आंदोलन के तहत गिरफ्तारी देने की बात हो या फिर कारसेवा करने का काम रहा हो, ये महिलाएं पीछे नहीं रही हैं. राजमाता विजयाराजे सिंधिया एक तरफ मंदिर आंदोलन का संयमित चेहरा मानी जाती थीं तो दूसरी तरफ उमा भारती और साध्वी ऋतंभरा हिंदुत्व की कट्टर छवि वाली नेता के तौर पर जानी जाती थीं. बाबरी विध्वंस के लिए इन तीनों महिलाओं को आरोपी भी बनाया गया था. राम मंदिर का चेहरा राजमाता विजयाराजे सिंधिया सागर के राणा परिवार में साल 1919 में जन्मीं राजमाता विजयाराजे सिंधिया ग्वालियर राजघराने की बहू बनीं. इंदिरा सरकार के आपातकाल में वह जेल गईं. उसके बाद वह धीरे-धीरे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और विश्व हिन्दू परिषद से जुड़ती चली गईं. राजमाता विजयाराजे सिंधिया बीजेपी की संस्थापक सदस्य रही हैं और राम मंदिर आंदोलन का प्रमुख चेहरा मानी जाती थीं. 1988 में बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यपरिषद की बैठक में मंदिर निर्माण के लिए विजयाराजे सिंधिया प्रस्ताव लाई थी. इसी के बाद राम मंदिर मुद्दा बीजेपी के प्रमुख एजेंडे में शामिल हो गया. वो शुरू से ही कभी प्रत्यक्ष तो कभी अप्रत्यक्ष रूप से मंदिर के आंदोलन का हिस्सा रहीं. बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी ने 1989 में जब सोमनाथ से अयोध्या के लिए रथयात्रा निकाली तो विजयाराजे सिंधिया ने उन्हें पूरा सहयोग दिया. छह दिसंबर 1992 की कारसेवा के दौरान भी अयोध्या में वे अहम भूमिका में रहीं और एक प्रमुख नेत्री की तरह राम मंदिर आंदोलन का नेतृत्व किया था. अयोध्या के रामकथा कुंज के मंच से विजयाराजे सिंधिया ने भी कारसेवकों को संबोधित किया था. राजमाता सिंधिया को बाबरी विध्वंस मामले का आरोपी बनाया गया था. आंदोलन से मिली उमा भारती को पहचान अयोध्या राम मंदिर आंदोलन से उमा भारती को देश भर में राजनीतिक पहचान मिली है. 90 के दशक में राम मंदिर आंदोलन के दौरान वो फायरब्रांड महिला नेता के तौर पर उभरीं. राममंदिर के समर्थन में देश में भ्रमण कर सभाएं कीं और जोश जगाने वाला भाषण दिया. विश्व हिंदू परिषद की लगभग हर सभा में वो जबरदस्त भाषण दिया करतीं. वह भी बाबरी विध्वंस मामले की आरोपी हैं. उन पर कारसेवकों पर भीड़ को भड़काने का आरोप लगा जिससे उन्होंने इनकार किया था. उमा भारती केंद्रीय मंत्री बनीं और मध्य प्रदेश की मुख्यमंत्री भी रहीं तो उसकी वजह केवल राममंदिर आंदोलन ही रहा, जिसने सन्यासी से उमा भारती को देश की सियासत का प्रमुख चेहरा बना दिया. कट्टर हिंदुत्व का चेहरा साध्वी ऋतम्भरा राममंदिर आंदोलन में दुर्गा वाहिनी संगठन की अहम भूमिका रही है, जिसकी कमान उस समय साध्वी ऋतम्भरा के हाथों में रही. साध्वी ऋतम्भरा ने आजतक से कहा था कि अब राम मंदिर का निर्माण का सपना साकार हो रहा है तो इस अनुभव को महसूस किया जा सकता है उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता. वो 90 के दशक में राममंदिर का हिस्सा बनी थीं और कहा था कि हां, हम हिंदू हैं, हिंदुस्तान हमारा है. साध्वी ऋतंभरा एक समय हिंदुत्व की फायरब्रांड नेता थीं. बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में उनके खिलाफ आपराधिक साजिश के आरोप हैं. अयोध्या आंदोलन के दौरान उनके उग्र भाषणों के ऑडियो कैसेट पूरे देश में सुनाई दे रहे थे जिसमें वे आंदोलन विरोधियों को 'बाबर की आलौद' कहकर भी ललकारती थीं. इतना ही नहीं, राममंदिर के लिए हर वीएचपी के कार्यक्रम में वो उपस्थित रहा करती थीं.

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