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संजय राउत विवाद: BJP जैसी नहीं कांग्रेस, एक दिन में बैकफुट पर आई शिवसेना

नई दिल्ली, 17 जनवरी 2020, बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन में एक समय शामिल रही शिवसेना ने पांच साल तक नरेंद्र मोदी सरकार से लेकर महाराष्ट्र की फडणवीस सरकार पर जमकर हमले किए. शिवसेना के बयानों पर पलटवार करने की बजाय बीजेपी ने हमेशा ऐसे बयानों को नजरअंदाज किया. लेकिन अब महाराष्ट्र के समीकरण बदल गए हैं, बीजेपी के साथ रही शिवसेना ने कांग्रेस-एनसीपी के सहयोग से महाराष्ट्र की सत्ता पर कब्जा किया है, ऐसे में कांग्रेस को बीजेपी की तरह ट्रीट करना शिवसेना के लिए मुसीबत का सबब बन गया है. इंदिरा- करीम लाला की मुलाकात पर विवाद महाराष्ट्र में नया गठबंधन, नया साथी और अब नया तेवर है. यही वजह है कि शिवसेना नेता व राज्यसभा सदस्य संजय राउत ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और करीम लाला के कनेक्शन को लेकर बयान दिया तो कांग्रेस ने आंखे तरेर ली. इसका नतीजा यह हुआ कि 24 घंटे के अंदर शिवसेना ही बैकफुट पर आ गई है और राउत को अपना बयान वापस लेना पड़ा. बता दें कि शिवसेना नेता संजय राउत ने बुधवार को दावा किया था कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी मुंबई में अंडरवर्ल्ड डॉन करीम लाला से मिलने आती थीं. संजय राउत ने अंडरवर्ल्ड के दिनों को याद करते हुए कहा था कि दाऊद इब्राहिम, छोटा शकील और शरद शेट्टी जैसे गैंगस्टर महानगर और आस-पास के इलाकों पर अपना कंट्रोल रखते थे. कांग्रेस ने जताई कड़ी आपत्ति शिवसेना नेता का यह बयान कांग्रेस को नागवार गुजरा. कांग्रेस नेता और उद्धव सरकार में मंत्री नितिन राउत ने संजय राउत के बयान पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि इंदिरा गांधी हमारी नेता थीं. कांग्रेस नेता ने कहा कि शिवसेना जब इससे पहले भी सरकार का हिस्सा थी तब भी संजय राउत बीजेपी के खिलाफ बयान देते थे. लेकिन अगर उन्हें (संजय राउत) लगता है हम सुनते रहेंगे तो ऐसा नहीं है, कांग्रेस ऐसे बयान कतई बर्दाश्त नहीं करेगी. नितिन ने कहा कि हम ईंट का जवाब पत्थर से देना जानते हैं. साथ ही कांग्रेस नेता मिलिंद देवड़ा ने भी बयान की आलोचना करते हुए कहा, इंदिरा गांधी एक देशभक्त थीं, संजय राउत अपना बयान वापस लें. इसका नतीजा यह हुआ कि शिवसेना नेता संजय राउत को अपना बयान वापस लेना पड़ा. राउत ने कहा कि अगर उनके बयान से कांग्रेस के किसी भी नेता को या फिर गांधी परिवार को दुख पहुंचा है तो वे अपना बयान वापस लेते हैं. उन्होंन कहा, 'हमारे कांग्रेस के मित्रों को आहत होने की जरूरत नहीं है. अगर किसी को लगता है कि मेरे बयान से इंदिरा गांधी जी की छवि को धक्का पहुंचा है या किसी की भावनाओं को ठेस पहुंची है, तो मैं अपने बयान को वापस लेता हूं.' राउत को वापस लेना पड़ा बयान साथ ही संजय राउत ने कहा कि वे इंदिरा गांधी का सम्मान करते हैं. उन्होंने कहा, 'जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी का हमेशा सम्मान रहा है.' संजय राउत ने सफाई पेश करते हुए कहा, 'मैंने हमेशा इंदिरा गांधी, पंडित नेहरू, राजीव गांधी और गांधी परिवार के प्रति जो सम्मान दिखाया, वह विपक्ष में होने के बावजूद किसी ने नहीं किया. जब भी लोगों ने इंदिरा गांधी पर निशाना साधा है, मैं उनके लिए खड़ा हुआ हूं.' दरअसल महाराष्ट्र का सियासी समीकरण पूरी तरह से बदल गए हैं. 2014 से 2019 के बीच महाराष्ट्र की फडणवीस सरकार शिवसेना के समर्थन से चल रही थी. इसके बावजूद शिवसेना अपने मुख्यपत्र सामना में और पार्टी नेताओं के द्वारा बीजेपी और मोदी सरकार की नीतियों की हर रोज आलोचना की जाती थी, लेकिन बीजेपी पलटवार करने के बजाय बर्दाश्त करती रही. वक्त बदला तो दोस्त बदले और शिवसेना के तेवर भी बदल गए. शिवसेना ने 25 साल पुराने दोस्त को छोड़कर कांग्रेस और एनसीपी से हाथ मिला लिया है. महाराष्ट्र की सत्ता पर शिवसेना काबिज हैं और पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री पद पर विराजमान हैं. उद्धव सरकार कांग्रेस व एनसीपी के सहयोग चल रही है. ऐसे में उद्धव ठाकरे इस बात को बखूबी समझते हैं कि कांग्रेस और एनसीपी को नाराज करके सरकार चलाना आसान नहीं होगा. इसीलिए शिवसेना नेता को बयान देने के 24 घंटे के अंदर यू-टर्न लेना पड़ा. इसका मतलब साफ है बीजेपी, कांग्रेस नहीं है, जो हर बात सहन कर लेगी.

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