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नागरिकता संशोधन बिल से कोई भय नहीं, मुसलमान सम्मान से जीता रहेगा: अमित शाह

नई दिल्ली, नागरिकता संशोधन बिल 2019 सोमवार को देर रात तक चर्चा के बाद लोकसभा से पास हो गया. हालांकि, इस बिल को लेकर विपक्ष का बार-बार यही आरोप रहा कि धार्मिक आधार पर भेदभाव किया जा रहा है. इस बीच चर्चा के दौरान AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने बिल का विरोध करते हुए इसकी कॉपी फाड़ दी. वहीं, शाम में बिल के पक्ष में दोबारा अपनी बात रखते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि इस बिल से मुस्लिमों के साथ जरा भी भेदभाव नहीं है. शाह ने कहा कि यहां का मुसलमान सम्मान के साथ जी पाएगा, जी रहा है और आगे भी जीता रहेगा. बिल से किसी को डरने की जरूरत नहीं: शाह बता दें कि अमित शाह ने संसद में बिल के पक्ष में बालते हुए कहा, 'नागरिकता संशोधन विधेयक किसी भी प्रकार से संविधान के किसी भी अनुच्छेद का उल्लंघन नहीं करता है. यह बिल किसी के साथ भेदभाव नहीं करता है. यह सिर्फ पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के पीड़ित अल्पसंख्यकों को सुरक्षा देने के लिए लाया जा रहा है.' अमित शाह ने कहा कि इस बिल से किसी को डरने की जरूरत नहीं है और उत्तर-पूर्व भारत के लोग किसी के बहकावे में न आएं, अगर बिल से कोई भेदभाव साबित होता है तो वो इसको वापस ले लेंगे. शाह बोले- अल्पसंख्यक कहां जाते? वहीं, नागरिकता संशोधन बिल के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के अल्पसंख्यकों को सुरक्षा देने को लेकर शाह ने कहा, '1991 में बांग्लादेश में हिंदुओं की आबादी 21% थी अब 7% से कम है. 1947 में पाकिस्तान में 23% अल्पसंख्यक थे और 2011 में सिर्फ 3.4% रह गए. अफगानिस्तान में 1992 तक करीब 2 लाख हिंदू और सिख थे और 2018 तक वो सिर्फ 500 रह गए.' शाह ने कहा कि तालिबानों ने जब कहर ढाया तो बौद्ध, सिख, हिंदू, ईसाई, जैन और पारसी कहां जाते, ऐसे में उन्हें भारत में शरण देने का प्रस्ताव है. मुस्लिमों के साथ भेदभाव नहीं: शाह शाह ने कहा, इन तीनों देशों के अल्पसंख्यकों को जो धर्म के आधार पर प्रताड़ित हुए, उन्हें नागरिकता देने का बिल है. उन्होंने कहा, 'इससे मुस्लिमों के साथ जरा भी भेदभाव नहीं है. यहां का मुसलमान सम्मान के साथ जी पाएगा, जी रहा है और आगे भी जीता रहेगा. उसको कोई तकलीफ नहीं होने वाली. ये बिल केवल और केवल इन देशों से आने वाले धार्मिक आधार पर प्रताड़ित अल्पसंख्यकों के लिए है .' शाह ने कहा कि इस बिल में मुस्लिम का समावेश इसलिए नहीं है, क्योंकि मुसलमान वहां पर अल्पसंख्यक नहीं है. बिल शरणार्थियों-अल्पसंख्यकों के लिए इस दौरान गृहमंत्री ने कहा कि शरणार्थी और घुसपैठिए के बीच में मौलिक अंतर है, जो धार्मिक प्रताड़ना के आधार पर अपने घर की स्त्रियों की इज्जत बचाने के लिए, स्वधर्म में जीने के लिए, अपने धर्म को बचाने के लिए यहां आते हैं वो शरणार्थी हैं और वो जो बिना इजाजत घुसकर आता है वो घुसपैठिया है, दोनों के बीच में बहुत बड़ा अंतर है और ये बिल शरणार्थियों के लिए है, ये बिल अल्पसंख्यकों के लिए है.

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