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दिल्ली सरकार की नई शराब नीति में किन खामियों के कारण शुरू हुई जांच, मनीष सिसोदिया पर कितने गंभीर आरोप

नई दिल्ली: नई आबकारी नीति के जरिए घोटाला करने का आरोप का सामाना कर रहे दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया अब भी अपने फैसलों पर अड़े हैं। उनका कहना है कि उन्होंने आबकारी नीति में जो भी बदलाव किए हैं, उनमें किसी नियम-कानून का उल्लंघन नहीं हुआ है और न ही नई नीति में कोई खामी है। सिसोदिया ने द टाइम्स ऑफ इंडिया (ToI) को दिए इंटरव्यू में दावा किया है कि शराब ठेके का लाइसेंस लेने वालों को अनुचित फायदा पहुंचाने के लिए आबकारी नीति में बदलाव करने का आरोप बिल्कुल निराधार है। नई नीति से लाइसेंसधारकों का नहीं, सरकार का फायदा होता। उन्होंने बीजेपी पर मामले के काफी बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने का भी आरोप लगाया। सिसोदिया ने कहा कि बीजेपी पहले कह रही थी कि 8 हजार करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है और आखिर में 30 करोड़ रुपये तक आ गई। आइए जानते हैं कि आखिर मनीष सिसोदिया पर किन-किन नियमों के उल्लंघन के आरोप हैं... नए एलजी ने लिया संज्ञान, चीफ सेक्रेटरी ने सौंपी रिपोर्ट दिल्ली के मौजूदा उप-राज्यपाल (LG) वीके सक्सेना ने चीफ सेक्रेटरी को नई शराब नीति को लेकर रिपोर्ट पेश करने को कहा था। चीफ सेक्रेटरी को आदेश था कि वो नई शराब नीति से संबंधित फैसले लेने में किन-किन अधिकारियों की संलिप्तता है, यह बताएं। चीफ सेक्रेटरी ने जुलाई में अपनी रिपोर्ट पेश करी दी जिसके आधार पर एलजी ने तत्कालीन एक्साइज कमिश्नर आरव गोपी कृष्णा और डैनिक्स आनंद कुमार तिवारी समेत 11 अधिकारियों को निलंबित कर दिया। साथ ही मामले की जांच सीबीआई सीबीआई से करवाने की सिफारिश कर दी। दरअसल, चीफ सेक्रेटरी की रिपोर्ट में नीचे दिए गए चार नियम-कानूनों के प्रथम दृष्टया उल्लंघन की बात कही गई हैं... ➤ दिल्ली चीफ सेक्रेट्री की रिपोर्ट में प्रथम दृष्टया जीएनसीटीडी एक्ट, 1991 ➤ ट्रांजैक्शंस ऑफ बिजनल रूल्स, 1993 ➤ दिल्ली एक्साइज एक्ट, 2009 ➤ दिल्ली एक्साइज रूल्स, 2010 नियमों की अनदेखी का आरोप रिपोर्ट में कहा गया कि आबकारी मंत्री मनीष सिसोदिया ने कई वैधानिक प्रस्तावों का उल्लंघन करते हुए फैसले लिए। इसमें कहा गया है कि नई शराब नीति बनाते हुए जानबूझकर प्रक्रियाओं की भारी अनदेखी की गई। इसके मुताबिक, सिसोदिया ने एलजी की अनुमति लिए बिना ही आबकारी नीति में बदलाव कर दिया जो नियमों का सरासर उल्लंघन है। शराब लाइसेंसधारकों को अनुचित लाभ देने का आरोप रिपोर्ट कहती है कि आबकारी विभाग ने 144.36 करोड़ रुपये की लाइसेंस फीस माफ कर दी जो दिल्ली एक्साइज रूल्स 2010 के नियम 11बी की धारा 48 का उल्लंघन है। दिल्ली चीफ सेक्रेटरी की रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना के बहाने लाइसेंसधारकों को टेंडर देने के बाद उनसे ली जाने वाली लाइसेंस फी माफ कर दी गई। इससे सरकारी खजाने को भारी नुकसान पहुंचा और ऐसा लगता है कि आबकारी नीति में बदलाव लाइसेंसधारकों को अनुचित फायदा पहुंचाने के लिए किया गया। विदेशी बीअर से आयात शुल्क हटाया रिपोर्ट में कहा गया है कि आबकारी विभाग ने बिना अप्रूवल के विदेशी शराब की दरों के आकलन का फॉर्म्युला ही बदल दिया। इसके मुताबिक, सिसोदिया ने विदेशी शराब की दरों को बदलकर और बीअर के हर केस पर लागू 50 रुपये का आयात शुल्क हटाकर ठेकेदारों को लाभ पहुंचाया। इससे विदेशी शराब और बीअर की खुदरा दरें कम हो गईं, लेकिन सरकारी खजाने को नुकसान हुआ। 8 हजार करोड़ का घोटाला कहा गया, अब 1 करोड़ पर आ गया: सिसोदिया मनीष सिसोदिया ने हमारे सहयोगी अखबार द टाइम्स ऑफ इंडिया (ToI) को दिए इंटरव्यू में कहा कि बीजेपी राई को पहाड़ बनाने में जुटी है। उन्होंने कहा, 'उन्होंने पहले कहा कि 8 हजार करोड़ का घोटाला हुआ। फिर कहा कि 1,100 करोड़ का घोटाला है और फिर 144 करोड़ और आखिर में 30 करोड़ पर आ गए। हालांकि, एफआईआर में 1 करोड़ के घोटाले का आरोप है।' उन्होंने कहा कि जांच से कौन डरता है। सिसोदिया बोले, 'मैं जांच का स्वागत करता हूं। मेरे पास छिपाने के लिए कुछ भी नहीं हैं। मैं गारंटी दे सकता हूं कि सभी आरोप आखिर में फर्जी निकलेंगे।' सिसोदिया का आरोप- तत्कालीन एलजी के यू-टर्न से हुई गड़बड़ी सिसोदिया का कहना है कि सारी गड़बड़ी तत्कालीन उप-राज्यपाल (LG) अनिल बैजल के अचानक पलटी मारने से हुआ। उन्होंने आबकारी नीति पर यू-टर्न लेते हुए प्रावधान कर दिया कि शराब के लाइसेंसधारकों को नई जगहों ठेका खोलने के लिए एमसीडी और डीडीए से अनुमति लेनी होगी। उन्होंने पिछले महीने सीबीआई को भी चिट्ठी लिखकर इसकी शिकायत की और कहा कि अनिल बैजल के अचानक फैसला बदलने के पीछे की मंशा की भी जांच होनी चाहिए। उधर, आप प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा किया था कि 31 जगहों पर एकसाथ छापेमारी में लगे सीबीआई के 900 अधिकारियों को 14 घंटे की तलाश में भी कुछ हाथ नहीं लगा। उन्होंने कहा, 'वो नकद रुपयों, जूलरी या बेनामी संपत्ति के दस्तावेज आदि ढूंढ रहे थे, लेकिन खाली हाथ रह गए।' उन्होंने अपने इस दावे का आधार बताया कि अगर सीबीआई को कुछ हाथ लगता तो वह प्रेस कॉन्फ्रेंस करके सारे एक-एक चीज बताती कि उसने-क्या-क्या जब्त किया है। नई नीति में क्या बदलाव, कब हुआ लागू, कब हुई वापसी ध्यान रहे कि दिल्ली में 17 नवंबर 2021 को नई शराब नीति लागू हो गई थी। इस नीति में 100% शराब ठेके प्राइवेट प्लेयर्स के हाथों दे गईं। इससे पहले, 40% दुकानें खोलने की अनुमति ही ही प्राइवेट ठेकेदारों दी गई थीं, 60% शराब ठेके सरकारी थे। 2 मई 2022 को दिल्ली सरकार के मंत्री समूह (GoM) से पारित नई नीति में शराब की होम डिलिवरी, रात के 3 बजे तक शराब के ठेके खुले रखने, लाइसेंसधारकों को शराब पर अनलिमिटेड डिस्काउंट देने की छूट जैसे प्रस्ताव किए गए थे। दिल्ली में नई शराब नीति से सरकारी खजाने को हुए संभावित घाटे की जांच दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने शुरू की। इस बीच एलजी ने चीफ सेक्रेटरी को मामले की जांच करके रिपोर्ट सौंपने का आदेश दे दिया। तभी सिसोदिया ने 30 जुलाई 2022 को घोषणा कर दी कि 1 अगस्त से दिल्ली सरकार की नई शराब नीति पूरी तरह हटा ली जाएगी और पहले की तरह सिर्फ सरकारी ठेकों पर ही शराब बेचने की अनुमति होगी।

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