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बहुमत है तो फिर गहलोत क्यों कर रहे हैं फ्लोर टेस्ट की जल्दबाजी?

जयपुर राजस्थान की सियासी रस्साकशी शुक्रवार को राजस्थान हाईकोर्ट से आगे बढ़कर राजभवन तक पहुंच गई। हाईकोर्ट में जैसे ही पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट गुट को फौरी राहत का ऐलान हुआ, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजभवन की ओर कूच कर दिया। बाड़ाबंदी में कैद विधायकों की तत्काल बैठक बुलाई गई और वहीं से ऐलान कर दिया गया कि राज्यपाल कलराज मिश्र अगल विधानसभा सत्र आहूत करने की अनुमति नहीं देते हैं तो राजभवन के घेराव की जिम्मेदारी उनकी नहीं होगी। ऐसा ही हुआ भी, कुछ समय बाद ही सीएम अपने विधायक दल के साथ राजभवन पहुंचे और धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया। लेकिन इस बीच राजनीतिक गलियारों से लेकर प्रदेश की जनता तक यही सबसे बड़ा सवाल था कि आखिर सीएम गहलोत को विधानसभा सत्र बुलाने की इतनी जल्दी क्यों है? गहलोत इसलिए बना रहे है राज्यपाल पर दबाव पिछले 13 दिन से बाड़ाबंदी में रखे विधायकों की परेड करवाने की सीएम अशोक गहलोत की विवशता को पहला बड़ा कारण विधायकों की बगावत का डर है। संभव है कि बाड़ाबंदी में 100 से अधिक विधायकों की मौजूदगी के बाद भी कुछ विधायकों के पायलट गुट में शामिल होने का खतरा उन्होंने भाप लिया हो। और विधायकों की संख्या टूटने के डर से वो जल्द से जल्द फ्लोर टेस्ट कराना चाहते हैं। अभी फ्लोर टेस्ट तो 6 महीने तक खतरा टला राज्यपाल से सत्र बुलाने की अनुमति मिलने के साथ ही गहलोत खेमे को फ्लोर टेस्ट के जरिए बहुमत साबित करने का मौका मिल जाएगा। इसका मतलब ये है कि सरकार को समर्थन देने वाले कुछ विधायकों की बगावत का खतरा नहीं रहेगा और फ्लोर टेस्ट पास होने के बाद अगले 6 महीने तक सरकार पर मंडरा रहा संकट टल जाएगा। सरकार बचाने के साथ पायलट पर प्रहार सचिन पायलट की याचिका पर भले ही कोर्ट में सुनवाई लंबित है लेकिन कांग्रेस पार्टी में उनकी फिर से एंट्री पर पाबंदी को पुख्ता करने के लिए भी गहलोत यह सत्र जल्द बुलाना चाहेंगे। फ्लोर टेस्ट में के लिए विप जारी होगा और यदि पायलट गुट इसमें शामिल नहीं होता है तो उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाना आसान होगा। कोर्ट के फैसले से पहले सरकार सुरक्षित करना चाहते हैं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत खेमे की निगाहें अब भी कोर्ट के फैसले पर टिकी हैं। राजस्थान हाईकोर्ट की तरह सुप्रीम कोर्ट भी यदि सचिन पायलट गुट के पक्ष में फैसला देता है तो परिस्थितियां बिल्कुल उलट होंगी। ऐसे में गहलोत खेमा चाहता है कि कोर्ट के अगले आदेश से पहले वो सरकार को सुरक्षित करते हुए अपना पक्ष भी मजबूत कर लें।

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