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राजस्थान में निकाय चुनाव का ऐलान, पायलट की नाराजगी कम करने की कोशिश

जयपुर, 25 अक्टूबर 2019,विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस के प्रदर्शन के बाद राजस्थान सरकार ने पंचायत और शहरी निकाय के चुनाव का ऐलान करवा दिया है. इस बीच चुनाव में मेयर और स्थानीय निकाय के प्रमुखों के चयन को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच मचे घमासान का हल भी निकालने की कोशिश की गई है. आचार संहिता लागू बताया जा रहा है कि शुक्रवार शाम 4:00 बजे से राजस्थान में पंचायतों में स्थानीय निकाय के चुनाव को लेकर आचार संहिता लग गई है. इससे पहले नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा, 'स्थानीय निकाय के चुनाव में चुने हुए पार्षद ही अध्यक्ष और सभापति बनेंगे.' धारीवाल ने सचिन पायलट का नाम लेने के बजाय बीजेपी पर हमला बोलते हुए कहा कि बीजेपी भ्रम फैला रही है कि चुनाव नहीं लड़ने वाला व्यक्ति भी स्थानीय निकायों में मेयर और सभापति बन सकता है. पंचायत चुनाव की घोषणा वहीं राजस्थान में पंचायत चुनाव की घोषणा हो गई है. राजस्थान के निर्वाचन आयुक्त पीएस मेहरा ने कहा, 'स्थानीय निकाय के सदस्य पद के लिए 16 नवंबर को सुबह 7:00 बजे से लेकर 5:00 बजे तक वोट डाले जाएंगे और मतगणना 19 नवंबर को होगी. शुक्रवार शाम 4:00 बजे से राज्य में आचार संहिता लागू हो गई है. इस दौरान वाहनों पर लाउडस्पीकर बजाने को लेकर रात 10:00 बजे से लेकर सुबह 6:00 बजे तक रोक रहेगी. साथ ही नगर निगम के लिए तीन और नगर परिषद के लिए दो और नगरपालिका के प्रचार के लिए एक वाहन की अनुमति प्रदान की गई है. राजस्थान के 49 निकायों के 32 लाख 99 हजार 337 मतदाता स्थानीय निकाय के चुनाव में वोट डालेंगे. राज्य के तीन नगर निगम 28 नगर पालिका और अट्ठारह नगर परिषद में यह चुनाव संपन्न किया जाएगा. गहलोत-पायलट के बीच मतभेद इससे पहले कहा जा रहा था कि कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी ने राजस्थान के प्रभारी महासचिव अविनाश पांडे को यह जिम्मेदारी दी थी कि इस मसले पर सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच के मतभेद को सुलझाएं. उसके बाद शांति धारीवाल सचिन पायलट से मिले थे. मगर आज चुनाव से ठीक पहले जिस तरह से प्रेस विज्ञप्ति जारी की गई उसे साफ है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत झुकने के लिए तैयार नहीं है. धारीवाल ने कहा है कि सरकार के पास अधिकार है और यह नियम बना सकती है कि अगर कोई योग्य व्यक्ति चुनाव नहीं जीता है तो भी बाहर से किसी को मेयर या सभापति बनाया जा सकता है, यह राजनीतिक दलों का अधिकार भी है. धारीवाल ने प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि अगर मान लिया जाए कि आरक्षित वर्ग का कोई व्यक्ति उस पार्टी से नहीं जीतता है और मेयर का पद आरक्षित व्यक्ति के लिए है तो ऐसे में दूसरी पार्टियों से खरीद-फरोख्त रोकने के लिए हमने बाहर से नया सभापति बनने के विकल्प के उपाय किए थे. धारीवाल ने कहा कि सभापति और मेयर बनने के लिए पार्षद बनने की कोई संवैधानिक बाध्यता नहीं है. गौरतलब है कि सचिन पायलट ने इस मसले पर अपनी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा था कि इससे लोकतंत्र की हत्या होगी और पैसे के बल पर बिना चुने हुए लोग बैक डोर एंट्री से मेयर और सभापति बनेंगे. पायलट ने इस पर पुनर्विचार के लिए कहा था. सरकार की तरफ से कोई पुनर्विचार तो इस पर नहीं हुआ है मगर नगरीय विकास मंत्री ने यह साफ करने की कोशिश की है कि भले ही हम अपने नियम को वापस नहीं ले रहे हैं मगर चुने हुए लोगों में से सभापति बनाएंगे.

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