दुनिया के सामने च्वॉइस है कि आपको अमन, सुख-शांति चाहिए या रक्तपात और आतंक, आतंकवाद के खिलाफ पूरी दुनिया को एक मंच पर आना होगा: उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू-
ब्रह्माकुमारीज संस्थान के अंतरराष्ट्रीय मुख्यालय आबू रोड में
चल रहे वैश्विक शिखर सम्मेलन में बिना नाम लिए उपराष्ट्रपति ने पाकिस्तान पर
साधा निशाना - विश्व के 140 देशों से सात हजार से अधिक जानी-मानी हस्तियां और
विद्वान हुए शामिल- उपराष्ट्रपति बोले- नई आशाओं के साथ भारत नया आकार ले रहा
है, हमारी च्वॉइस है कि हम विश्व में आतंक, रक्तपात चाहते हैं या अमन शांति।
- राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र, केंद्रीय जल संसाधन मंत्री अर्जुनराम
मेघपाल भी हुए शामिल 28 सितंबर, आबू रोड (राजस्थान)।*
ब्रह्माकुमारीज संस्थान के अंतरराष्ट्रीय मुख्यालय आबू रोड शांतिवन परिसर में
चल रहे वैश्विक शिखर सम्मेलन का शनिवार को उद्घाटन करते हुए उपराष्ट्रपति एम.
वैंकेया नायडू ने पाकिस्तान का नाम लिए बिना आतंकवाद फैला रहे देशों पर निशाना
साधा। उपराष्ट्रपति नायडू ने आतंकवाद फैला रहे देश और समाज को अलग-थलग करना
पड़ेगा। आतंक दुनिया का दुश्मन है। आतंकवाद के विरुद्ध सभी देशों को मिलकर
प्रयास करना होंगे। सभी को आगे आना होगा। पूरी दुनिया को एकसाथ आतंकवाद खत्म
करने के लिए कदम उठाने होंगे।
आध्यात्म द्वारा एकता, शांति और समृद्धि विषय पर आयोजित इस सम्मेलन में विश्व
के 140 देशों से सात हजार से अधिक विद्वान शामिल हुए हैं। इस पांच दिवसीय
सम्मेलन में 1 अक्टूबर तक विद्वान उपरोक्त विषय पर मंथन करेंगे।
उपराष्ट्रपति एम. वैंकेया नायडू ने कहा कि दुनिया के सामने च्वॉइस है कि आपको
अमन, सुख-शांति चाहिए या रक्तपात और आतंक? हम पर सभी को विचार करने की जरूरत
है। जो देश दुनिया में आतंक फैला रहे हैं, रक्तपात फैला रहे हैं उन्हें
सद्बुद्धि की जरूरत है। भारत ने कभी किसी देश पर हमला नहीं किया है, क्योंकि
हमारी संस्कृति वसुधैव कुटुम्बकम् और सर्वे भवंतु सुखिन:, सर्वे संतु निरामया:
की रही है। भारत विश्व में आध्यात्म का विश्व गुुरु रहा है। आध्यात्म हमारी
पुरातन संस्कृति है। नई आशाओं के साथ नया भारत आकार ले रहा है। भारत के युवाओं
में बदलने की क्षमता है। इस दौरान राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र, केंद्रीय
जल संसाधन मंत्री अर्जुनराम मेघवाल, ब्रह्माकुमारीज की मुख्य प्रशासिका 103
वर्षीय दादी जानकी ने भी संबोधित किया।
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने अपने संबोधन में इन विषयों पर किया फोकस....
1. आध्यात्म... उपराष्ट्रपति नायडू ने कहा कि आध्यात्म भारत की पुरातन
संस्कृति है। गीता स्वयं ईश्वरीय उपदेश है। महावीर स्वामी, गौतम बुद्ध, स्वामी
विवेकानंद, संत रविदास, गुरुनानकदेव आदि महापुरुषों- संतों ने समाज को
आध्यात्म के जरिएनई दिशा दी है। ब्रह्माकुमारीज संस्थान भी आध्यात्म और राजयोग
मेडिटेशन का संदेश विश्व के 140 देशों में अपने आठ हजार से अधिक सेवाकेंद्रों
के माध्यम से दे रहा है। आध्यात्म से ही विश्व में एकता, शांति, समृद्धि
आएगी।हमारा विश्वास, हमारी निष्ठा वसुधैव कुटुम्बकम् में रही है। सर्वे भवंतु
सुखिन:, सर्वे संतु निरामया: की भावना की हमारी संस्कृति है। जीओ और जीने दो
की परिपाटी है। माधव सेवा ही मानव सेवा हमारा संस्कार रहा है। स्वयं को खोजना
ही आध्यात्म है।
2. धर्म... उपराष्ट्रपति नायडू ने कहा कि आध्यात्म ही धर्म का मूल उद्देश्य
है। अपने अस्तित्व का वही विश्लेषण कर सकता है जो खुद से प्रश्न करना जानता हो
और अपनी खोज करने में समर्थ रखता हो। जब व्यक्ति के मन में धर्म के नाम पर
हिंसा और आतंक का तांडव होने लगता है तो समाज भेदभाव, संकीर्ण भावना का शिकार
हो जाता है। हमें इससे बाहर निकलना होगा। जो लोकतंत्र के नाम पर आतंक फैला रहे
हैं वह धर्म के विरोधी हैं।
3. शांति, समृद्धि और एकता... उपराष्ट्रपति नायडू ने कहा कि दुनिया को पीस
प्रोग्रेस की जरूरत है। कोई भी संघर्ष सबसे पहले मानव मस्तिष्क में जन्म लेता
है। संघर्ष के विरुद्ध शिक्षा और आध्यात्मिक ज्ञान ही विश्व में सच्ची शांति,
एकता, समरसता और स्वायित्व सुनिश्चित कर सकता है। आध्यात्मिक ज्ञान से ही
दुनिया में शांति और सद्भाव आ सकता है। आध्यात्मिक ज्ञान में ही वह शक्ति है
जो विश्व को एकता के सूत्र में बांध सकता है।
4. आतंकवाद.... उपराष्ट्रपति नायडू ने कहा कि हमने कभी किसी देश पर आक्रमण
नहीं किया है क्योंकि हमारी भावना वसुधैव कुटुम्बकम् की रही है। आतंकवाद मानव
का दुश्मन है। आज आतंकवाद के विरुद्ध सभी देशों को मिलकर प्रयास करना होंगे,
सभी को आगे आना होगा। पूरी दुनिया को एकसाथ आतंकवाद को खत्म करने के लिए कदम
उठाने होंगे। उन्होंने सवाल करते हुए कहा कि दुनिया के सामने च्वॉइस है कि
आपको अमन, सुख-शांति चाहिए या रक्तपात? हम पर सभी को विचार करने की जरूरत है।
जो देश दुनिया में आतंक फैला रहे हैं, रक्तपात फैला रहे हैं उन्हें सद्बुद्धि
की जरूरत है।
5. पर्यावरण... हमारे कल्चर में नेचर के प्रति प्यार होना चाहिए तो फ्यूचर
बैटर होगा। ब्रह्माकुमारी संस्था जल संरक्षण, पर्यावरण संरक्षण को लेकर बहुत
बहुत गंभीरपूर्वक प्रयास कर रही है। संस्था द्वारा हर वर्ष विश्वभर में न केवल
लाखों की संख्या में पौधे रोपे जा रहे हैं बल्कि उनका एक परिवार की तरह
पालन-पोषण करना पर्यावरण संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान है।
6 . ब्रह्माकुमारीज के बारे में: उपराष्ट्रपति नायडू ने कहा कि हमारे
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ब्रह्माकुमारीज की मुख्य प्रशासिका दादी जानकी
को ब्रांड एंबेसेडर बनाया है। संस्था ने अपने प्रयासों से समाज में स्वच्छता
का संदेश देने का सराहनीय प्रयास किया है। प्रधानमंत्री ने संयुक्त संघ में
संदेश दिया है कि स्वच्छता ही सेवा है। संस्था ने विश्व शांति के लिए अपने
अभियानों में अपना महत्वपूर्ण सहयोग दिया है। इसके लिएहमारे पूर्व
प्रधानमंत्री माननीय अटल बिहारी वाजपेयी जी ने संस्था की पूर्व मुख्य
प्रशासिका दादी प्रकाशमणि को सम्मानित किया था। साथ ही संयुक्त राष्ट्र संघ ने
संस्था को सात अंतरराष्ट्रीय शांतिदूत पुरस्कारों से सम्मानित किया है। संस्था
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, महिला सशक्तिकरण को लेकर समाज में नव संदेश देने के
साथ जागरूक कर रही है।
यहां नारी का आध्यात्मिक सशक्तिकरण देवत्व के भाव को साकार कर रहा है:
राज्यपाल मिश्र
राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा कि आध्यात्मिकता महत्वपूर्ण और गंभीर
विषय है। व्यक्ति-व्यक्ति से संबंधित है। अपनी आत्म जागृति को जागृत करना ही
आध्यात्म है।पाप-पुण्य के विश्लेषण से अनुशासन की भावना जागृत होती है। इससे
ही विश्व में शांति और समृद्धि आएगी।ये गौरव का विषय है कि ब्रह्माकुमारी
संस्था नारी शक्ति द्वारा संचालित वैश्विक संगठन है। जो आध्यात्मिक ज्ञान से
आगे बढ़ रही है और समाज को सकारात्मकता की ओर ले जा रही है। संस्था शुुरुआत
में तमाम विरोधों के बाद भी 8 3 वर्षों में विश्वभर में आध्यात्मिक ज्ञान को
पहुंचाया है। 103 साल की उम्र में भी दादी जानकी इसकी कुशल प्रशासक हैं ये योग
से ही संभव है। नारी का आध्यात्मिक शक्तिकरण देवत्व के भाव को साकार कर रहा
है। संस्था हर वर्ष लाखों की संख्या में पौधारोपण कर पर्यावरण बचाने का अभिनव
प्रयास कर रही है। यहां से मानव जीवन को सुखी और समृद्ध बनाने का प्रयास किया
जा रहा है आज ऐसे प्रयासों की दुनिया को जरूरत है।
उपराष्ट्रपति ने ये संदेश भी दिया...
- नई आशाओं का नया भारत आकार ले रहा है। नव युवा भारत को बदलने की क्षमता रखता
है।
- राजस्थान के लिए ये गौरव का विषय है कि ब्रह्माकुमारीज संस्था यहां से पूरे
विश्व को आध्यात्म की रोशनी दे रही है।
- स्वयं को खोजना ही आध्यात्म है।
- व्यक्तिगत जीवन को सुखद बनाने के लिएआध्यात्मिक विकास जरूरी है।
मैं कौन और मेरा कौन: दादी जानकी
- 103 वर्षीय संस्था की मुखिया दादी जानकी ने कहा कि सदा याद रखें मैं (आत्मा)
कौन और मेरा (परमात्मा) कौन। हम सभी एक परमात्मा की संतान हैं। परमात्मा हम
सभी आत्माओं के पिता, शिक्षक, सखा और सद्गुरु हैं। आध्यात्म के ज्ञान से ही
दुनिया बदलेगी। खुद को धन्य समझती हूं कि परमात्मा ने मुझे अपने कार्य में
सहयोगी बनाया। इस दौरान दादी ने उपराष्ट्रपति की तरफ इशारा करते हुएकहा कि जो
मेरा पिता है वही आपका भी है।
- केंद्रीय जल संसाधन मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने कहा कि आध्यात्म और पर्यावरण
समन्वय समय की मांग है। सरकारी की ओर से चलाईं जा रही योजनाओं को
ब्रह्माकुमारी संगठन का समय अनुरूप पर्याप्त सहयोग मिल रहा है। इस भागीरथ
कार्य में समाज के हर वर्ग को एकजुट होकर अपनी सहभागिता सुनिश्चित करनी होगी।
- संस्था की संयुक्त मुख्य प्रशासिका दादी रतनमोहिनी ने कहा कि भले हम शारीरिक
रूप से अलग-अलग देशों, वर्गों से हैं लेकिन हम सभी एक ही परमात्मा पिता के
बच्चे हैं।परमात्मा हम सबका है।इस भावना से ही विश्व का नवनिर्माण होगा।
इन्होंने भी रखे विचार...
वन एवं पर्यावरण राज्यमंत्री सुखराम विश्नोई, ब्रह्माकुमारी संगठन के महासचिव
बीके निर्वैर, कार्यक्रम के संयोजक बीके मृत्युंजय, संस्थान की कार्यक्रम
निदेशिका बीके मुन्नी बहन, बीके हंसा बहन ने भी अपने विचार रखे। इस दौरान
राज्यमंत्री ओटाराम देवासी, विधायक समाराम गरासिया भी मौजूद रहे। संचालन
वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका बीके शीलू बहन ने किया।
शिखर सम्मेलन की झलकियां...
- 20 मिनट चले संबोधन की शुरुआत नमस्कार के साथ की, बीच में कई बार मित्रों
कहकर भी संबोधित किया।
- संबोधन के बाद हॉल में शिखर सम्मेलन में पधारों लोगों के बीच जाकर मिले।
- कार्यक्रम में अपने निर्धारित समय पर पहुंचे।
- सम्मेलन के संयोजक बीके मृत्युंजय ने उपराष्ट्रपति, राज्यपाल और केंद्रीय
मंत्री का राजस्थानी साफा, शॉल और पुष्पगुच्छ से किया स्वागत
- दादी जानकी ने उपराष्ट्रपति से हाथ मिलाकर किया अभिवादन
- शांतिवन परिसर बना छावनी, पुलिस और सेना के डेढ़ हजार से अधिक जवान रहे तैनात
- पूरी सुरक्षा-व्यवस्था के साथ और सभी की चैकिंग के बाद मिली हॉल में जाने की
अनुमति
- जिला कलेक्टर सुरेन्द्र कुमार सोलंकी और एसपी कल्याणमल मीणा, एसडीएम डॉ.
रवीन्द्र कुमार गोस्वामी पूरे समय सुरक्षा-व्यवस्था पर चौकस नजर बनाए रखे।
- सुबह केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने रिबन काटकर और ध्वज फहराकर
आध्यात्मिक प्रदर्शनी का उद्घाटन किया।
- सम्मेलन में विशेषरूप से विश्वभर के देशों के झंडे लगाए गए हैं।
- उद्घाटन पर कर्नाटक और साऊथ अफ्रीका से पधारे कलाकारों ने विशेष नृत्य की
प्रस्तुति दी।
- कार्यक्रम की शुुरुआत राष्ट्रगान के साथ हुआ।
- सभी ने खड़े होकर उपराष्ट्रपति का अभिवादन किया।