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नागरिकत संशोधन विधेयकः गुलाम नबी ने कहा, मुख्य समस्याओं से ध्यान हटाने के लिए सरकार लाई बिल

नई दिल्ली लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक (CAB) को मंजूरी मिलने के बाद राज्यसभा में इसपर चर्चा चल रही है। कांग्रेस ने लोकसभा और राज्यसभा में बिल का पुरजोर विरोध किया और कहा कि यह देश के अल्पसंख्यकों के साथ भेद करने वाला विधेयक है। विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा इस बिल में केवल तीन देशों का और सिलेक्टिव धर्मों का ही चुनाव क्यों किया गया है। उन्होंने कहा कि भूटान, श्री लंका और म्यांमार में भी हिंदू रहते हैं और अफगानिस्तान के मुसलमानों के साथ भी अन्याय हुआ लेकिन उनको विधेयक के प्रावधान में शामिल नहीं किया गया है। आजाद ने कहा कि जनता को गुमराह करने के लिए ही सरकार इस तरह के बिल लाया करती है। तीन ही देशों के चयन की क्या वजहः आजाद गुलाम नबी ने कहा, 'मैं मान्यीय गृह मंत्री जी से पांच-छह बातों पर स्पष्टीकरण चाहता हूं। जिन देशों का उन्होंने चयन किया इसके पीछे वजह क्या है? क्या भूटान और श्री लंका में इस्लाम नहीं है? आपने तीन ही देशों को शामिल किया है पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश। इसके अलावा भी तो पड़ोसी देश हैं। क्या श्रीलंका के हिंदुओं को समस्या नहीं है? भूटान के ईसाइयों को क्यों नहीं जोड़ा गया? क्या बर्मा में भारत के मुसलमानों को परेशानी नहीं है? मुसलमान औरतों का जितना शोषण अफगानिस्तान में हुआ, और कहीं नहीं हुआ। वहां तालिबानी महिलाओं पर कोड़े बरसाते थे। गुलाम नबी ने की असम की बात उन्होंने कहा, 'फैज की मशहूर गजल अगर आपने सुनी होगी, हम देखेंगे, जब जुल्मो सितम के कोहेगिरां रूई की तरह उड़ जाएंगे। आपने धर्म के आधार पर भेदभाव क्यों किया। मंत्रालय कहता है कि कोई प्रामाणिक सबूत नहीं हैं कि किसी के साथ अत्याचार हुआ। जब आपके पास आंकड़े नहीं हैं तो भी गृह मंत्रालय करोड़ों लोगों को गिन रहा है। दूसरा सवाल यह है कि क्या आपके पास इन तीन देशों के कितने लोगों के आवेदन हैं। तीन देशों से आपके पास कुल आवेदन 4 हजार के आसपास ही है। आप बता रहे हैं कि करोड़ों लोगों पर अत्याचार हो रहा है। मैं आज की खबर बताता हूं। असम के डिब्रूगढ़ में आर्मी फ्लैग मार्च क्यों हो रहा है? रबर बुलेट क्यों चलाई जा रही हैं। गुवाहाटी में जुलूस क्यों निकल रहे हैं। मालेगांव में बस क्यों जलाई जा रहीं हैं? इस पर स्पीकर ने कहा कि आप बिल पर बात करिए। गुलामनबी ने आरोप लगाया कि लोगों को महंगाई और अर्थव्यवस्था से गुमराह करने के लिए इस तरह का बिल लाते रहते हैं। इसी तरह एनआरसी, तीन तलाक और 370 को खत्म करने का बिल लाया गया। रविशंकर प्रसाद का जवाब गुलाम नबी के सवालों का जवाब देते हुए केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि यह संकल्प को दोहराने वाला बिल है। उन्होंने कहा, 'गृह मंत्री से पूछा गया कि क्या देश के कानून विभाग ने बिल को तौला है। ऐसा सवाल मैंने पहले कभी नहीं सुना था। मैं मोदी सरकार का कानून मंत्री हूं और हमारे सारे बिल कानून विभाग के द्वारा समीक्षा के बाद ही लाए जाते हैं।' संविधान के अनुच्छेद 246 में कहा गया है कि सदन सभी विषयों पर कानून बना सकता है। उन्होंने कहा कि लोग आर्टिकल 14 की बात कर रहे हैं। प्रसाद ने कहा, 'यह कानून कहता है कि ये पांच- छह प्रकार के आस्था के लोग जो वहां पीड़ित हैं, हम उन्हें नागरिकता देंगे और उन्हें घुसपैठिया नहीं माना जाएगा। यह संविधान सम्मत है। अगर भारत देश अपनी संस्कृति के अनुसार पीड़ितों को जगह दे रहा है तो इसमें असंवैधानिक क्या है?'

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