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रियाज नायकू के साथी का आखिरी कॉल- 'हम घिर चुके हैं, मैं घायल हूं, TRF से सतर्क रहना'

पुलवामा, 07 मई 2020, भारतीय सुरक्षा बलों ने बुधवार को हिज्बुल मुजाहिदीन के कमांडर रियाज नायकू को ढेर कर दिया. जहां पर सुरक्षा बलों ने मुठभेड़ में रियाज नायकू मारा, वहां पर मौजूद रहे एक आतंकी का फोन इंटरसेप्ट हुआ है. इसमें हिज्बुल मुजाहिदीन और द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) के बीच दरार की बात सामने आई है. द रेजिस्टेंस फ्रंट एक आतंकी संगठन है, जो लश्कर-ए-तैय्यबा से जुड़ा हुआ है. आतंकी को फोन पर एक व्यक्ति से बात करते हुए सुना जा सकता है. आतंकी जिससे बात कर रहा है, उसको वाहिद भाई कहकर संबोधित कर रहा है. आतंकी फोन पर वाहिद से कह रहा है, 'हम लोग पुलवामा के बेघपोरा में घिर गए हैं. मैं घायल हो गया हूं और रियाज भाई लड़ रहा है. यह अपने लोगों की करतूत की वजह से हुआ है. इसके लिए टीआरएफ जिम्मेदार है. इससे दूर रहिए, क्योंकि यह हमारे कश्मीर को बर्बाद कर डालेगा.' सूत्रों का कहना है कि आतंकी की फोन पर बातचीत से साफ होता है कि टीआरएफ और हिज्बुल मुजाहिदीन के बीच टकराव चल रहा है. आतंकी फोन पर बातचीत के दौरान आरोप लगा रहा है कि वो लोग टीआरएफ की साजिश के चलते सुरक्षा बलों के शिकंजे में आए. सूत्रों का कहना है कि अभी तक यह साफ नहीं हो पाया है कि जिस आतंकी की फोन पर बातचीत को इंटरसेप्ट किया गया है, वो वही आतंकी है जो रियाज नायकू के साथ मारा गया है या कोई दूसरा. हालांकि इतना साफ है कि यह आतंकी मुठभेड़ के दौरान घटनास्थल पर मौजूद था और घायल हुआ था. आपको बता दें कि सुरक्षा बलों को हिज्बुल कमांडर रियाज नायकू के पुलवामा के बेघपोरा आने की खुफिया सूचना मिली थी. वह यहां अपने परिवार वालों से मिलने आया था और एक घर में छिपा हुआ था. इसके बाद सुरक्षा बलों ने ऑपरेशन चलाया था और नायकू समेत दो आतंकियों को ढेर कर दिया था. नायकू पहले गणित का शिक्षक था, लेकिन बाद में आतंक की राह पर चल पड़ा था. वह साल 2012 में आतंकी संगठन हिज्बुल मुजाहिदीन में शामिल हो गया था. बाद में वह हिज्बुल का कमांडर बन गया था. उस पर कश्मीर घाटी में कई आतंकी वारदातों को अंजाम देने के आरोप हैं. वहीं, कश्मीर घाटी में आतंकी संगठन टीआरएफ सक्रिय है. यह आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैय्यबा का ही हिस्सा है. हंदवाड़ा समेत कई हमलों के इस आतंकी संगठन का हाथ रहा है. हंदवाड़ा आतंकी हमले में भारतीय सेना के कर्नल और मेजर समेत पांच सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए थे.

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