अयोध्या केस LIVE: SC ने पूछा- रामचबूतरे को जन्मस्थान मानते हो? जिलानी बोले- जी हां

नई दिल्ली, 24 सितंबर 2019,प्रीम कोर्ट में रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर एक बार फिर सुनवाई जारी है. रोजाना सुनवाई का आज 30वां दिन है और मुस्लिम पक्ष की तरफ से वकील राजीव धवन ने मंगलवार को अदालत में दलीलें पेश कीं. अभी तक हिंदू पक्ष की ओर से निर्मोही अखाड़ा, हिंदू महासभा के वकील पक्ष रख चुके हैं. मंगलवार को राजीव धवन की ओर से दलीलें पूरी हुईं और बाद में जफरयाब जिलानी ने अपना पक्ष रखा. 24.9.2019 की सुनवाई के अपडेट: 02.59 PM: मुस्लिम पक्ष की ओर से जफरयाब जिलानी ने कहा कि 1886 के फैसले में भी यही कहा गया है कि चबूतरा ही जन्मस्थान है, लेकिन बाद में हिंदू पक्ष की ओर से आंतरिक अहाते और गुंबद पर दावा किया जाने लगा. जस्टिस बोबड़े ने इस पर पूछा कि आप मानते हैं कि इस फैसले को चुनौती नहीं दी गई? जिलानी ने जवाब दिया कि हमने इसपर चुनौती नहीं दी, बाद में कई याचिका शामिल हुई. 02.50 PM: सुप्रीम कोर्ट में जफरयाब जिलानी ने रामानंदचार्य, रामभद्राचार्य का उदाहरण दिया. उन्होंने कहा कि मानस टीका में अवधपुरी का भी जिक्र है, किसी स्थान का नहीं. दोहा शतक के सबूत को जफरयाब जिलानी ने खारिज करते हुए कहा कि इसके तुलसीकृत होने का सबूत नहीं दिया गया है. उन्होंने कोर्ट में कहा कि स्कन्दपुराण के अयोध्या खण्ड में राम जन्मस्थान को लेकर चौहदी और दूरी का ज़िक्र है. लेकिन अब वो जगह नहीं मिल रही जिसका जिक्र पुराण में है. इस पर जस्टिस बोबड़े ने कहा कि अयोध्या में रामजन्म को लेकर आपका विवाद नहीं है, सिर्फ जन्मस्थान को लेकर है? इसपर जिलानी ने कहा कि जी हां. इसके आगे जस्टिस बोबड़े ने पूछा कि आप रामचबूतरे को रामजन्मस्थान मानते हैं? इसपर जिलानी की ओर से हां में जवाब दिया गया. जफरयाब जिलानी ने कहा कि पहले सभी यही मानते थे, स्कंदपुराण में जन्मस्थान का जिक्र है लेकिन अब वह अस्तित्व में नहीं है. उन्होंने कहा कि 1886 में जिला जज ने भी अपने फैसले में रामचबूतरा को जन्मस्थान मानते हुए वहां पूजा करने की इजाज़त दी थी. 02.35 PM: अदालत में जफरयाब जिलानी ने कहा कि जन्मस्थल पर रामजन्म को लेकर विश्वास तो है, लेकिन सबूत कोई नहीं है. उन्होंने कहा कि दलीलों पर तीन आधार दिए गए हैं, राम चरित मानस, वाल्मिकी रामायण भी इनमें शामिल हैं. उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ताओं को साबित करना है कि कौन-कौन सी किताबों में इनका जिक्र किया गया है. जिलानी ने दावा किया कि रामचरित मानस और रामायण में कहीं विशिष्ट तौर पर राम जन्मस्थान का कोई जिक्र नहीं है. उन्होंने अदालत में कहा कि 1949 से पहले मध्य गुंबद के नीचे रामजन्म, पूजा का कोई अस्तित्व या सबूत नहीं मिलता है. इस पर जस्टिस बोबड़े ने जिलानी से पूछा कि क्या आप ये सबूत भी देंगे कि 1949 से पहले वहां नियमित नमाज़ होती थी? जिसपर जिलानी ने कहा कि सबूत जुबानी हैं लेकिन लिखित नहीं है. इसपर जस्टिस अशोक भूषण ने कहा कि हिंदू पक्ष की दलील में भी रामायण, रामचरित मानस में अयोध्या में दशरथ महल में राम के जन्म का जिक्र है हालांकि स्थान का कोई जिक्र नहीं है. इसी बात को आगे बढ़ाते हुए जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि दोनों ग्रंथों में अयोध्या में रामजन्म का जिक्र है, इसका मतलब क्या ये है कि अयोध्या में कहीं भी रामजन्मभूमि का दावा कर दें. मुस्लिम पक्ष की ओर से जिलानी ने कहा कि रामचबूतरा मंदिर से पुराना तो नहीं है. 02.05 PM: राजीव धवन ने अदालत में कहा कि गर्भगृह के भीतर कभी पूजा नहीं हुई है, गलत तरीके से रखी गई मूर्ति पर दावे का अधिकार नहीं हो सकता है. इसी के साथ ही राजीव धवन ने मुस्लिम पक्ष की ओर से अपनी दलील पूरी कर ली है. राजीव धवन के बाद अब मुस्लिम पक्ष की ओर से जफरयाब जिलानी बोल रहे हैं. 11.10 AM: वकील पीएस नरसिम्हा की दलील का जवाब देते हुए राजीव धवन ने कहा कि मैं ये मानता हूं कि पूजा करने के कई रूप मौजूद हैं, भारत विविधताओं से भरा देश है. देश में पक्षी मंदिर भी है, पाताल मंदिर भी है और कामाख्या मंदिर भी है. जब भगवान शिव क्रोधित हुए तो उनके शरीर के अंग कई जगह गिरे. इलाहाबाद, कामाख्या और नैनीताल इनमें शामिल हैं. 11.00 AM: मुस्लिम पक्ष की ओर से राजीव धवन ने कहा कि मामले की सुनवाई के उन्होंने कुछ पूर्व प्रधानमंत्रियों का नाम लिया था. इसका मतलब ये नहीं है कि वो इस मामले में कोई राजनीतिक टिप्पणी कर रहे हैं, वो लोग संवैधानिकता को लेकर बात कर रहे थे. इस दौरान राजीव धवन ने चिदंबरम मंदिर से जुड़े एक केस का भी जिक्र किया. आपको बता दें कि 23 सितंबर से इस मामले की सुनवाई रोजाना एक घंटे ज्यादा हो रही है. सर्वोच्च अदालत ने इस मामले की सुनवाई 18 अक्टूबर तक सुनवाई करने की उम्मीद जताई है, जिसके बाद एक महीने फैसला लिखने के लिए समय मांगा है.

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