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जोजिला टनल: साढ़े 3 घंटे का सफर 15 मिनट में,

लद्दाख अब बाकी भारत से किसी मौसम में अलग नहीं होगा। हर बार सर्दियों में भारी बर्फबारी के चलते श्रीनगर-लेह-लद्दाख हाइवे बंद हो जाता है। मगर 14.5 किलोमीटर लंबी जोजिला सुरंग से यह परेशानी दूर हो जाएगी। इसे एशिया की सबसे लंबी सुरंग बताया गया है। यही नहीं, फिलहाल जो दूरी तय करने में साढ़े तीन घंटे लगते हैं, वह भी सिर्फ 15 मिनट में पूरी हो जाएगी। एक 18 किलोमीटर लंबी अप्रोच रोड भी बनेगी जो Z मोड़ सुरंग से जोजिला टनल तक जाएगी। इस रोड पर ऐसे अवलांश प्रोटेक्‍शन स्‍ट्रक्‍चर्स बनाए जाएंगे जो दोनों सुरंगों के बीच हर मौसम में कनेक्टिविटी देंगे। आइए जानते हैं कि जोजिला टनल में खास क्‍या है। इस वजह से बेहद अहम है यह सुरंग यह सुरंग सेना के साथ-साथ आम जनता के लिए भी बेहद अहम है। इसके पूरा होने पर कश्मीर घाटी से लद्दाख का संपर्क हर मौसम में बना रहेगा। कैसे बना प्‍लान, टेंडर और क्‍या है लोकेशन इस सुरंग की नींव मई 2018 में ही रख दी गई थी। लेकिन टेंडर पाने वाली IL&FS दीवालिया हो गई। उसके बाद हैदराबाद की मेघा इंजिनियरिंग को 4,509.5 करोड़ रुपये में इसका ठेका मिला। सरकार का दावा है कि वह प्रोजेक्‍ट की रीमॉडलिंग के जरिए 3,835 करोड़ रुपये बचा लेगी। पूरे प्रोजेक्‍ट की अनुमानित लागत 6,808.63 करोड़ रुपये है। जोजिला पास के नीचे करीब 3,000 मीटर की ऊंचाई पर यह सुंरग बनेगी। इसकी लोकेशन NH-1 (श्रीनगर-लेह) में होगी। क्‍यों खास है यह प्रोजेक्‍ट? यह सुरंग बनने के बाद श्रीनगर, द्रास, करगिल और लेह के इलाके हर मौसम में जुड़े रहेंगे। रणनीतिक रूप से भी यह बेहद महत्‍वपूर्ण है क्‍योंकि इस रोड के जरिए सियाचिन में तैनात जवानों को भी सप्‍लाई जाती है। सर्दियों में बाकी देश से कटे रहने वाले यह इलाके जब पूरे साल देश से जुड़ेंगे तो उनका विकास तेजी से होगा। इसकी डिमांड पिछले 30 साल से हो रही थी। अब श्रीनगर-करगिल-लेह के रास्‍ते में हिमस्‍खलन का डर नहीं रहेगा। सेफ्टी के लिए एक से एक इंतजाम सुरंग के भीतर रोड के दोनों तरफ, हर 750 मीटर पर इमर्जेंसी ले-बाई होंगे। कैरियजवे के दोनों तरफ भी साइडवाक्‍स होंगी। यूरोपीय मानकों के अनुसार, हर 125 मीटर की दूरी पर इमर्जेंसी कॉल करने की सुविधा होगी। पूरी सुरंग में ऑटोमेटिक फायर डिटेक्‍शन सिस्‍टम लगेगा। मैनुअल फायर अलार्म का बटन भी होगा। हर ड्राइवर के पास पोर्टबल एक्‍सटिंग्विशर भी मौजूद होना चाहिए। सुरंग की दीवारों पर सीसीटीवी कैमरा लगाए जाएंगे। सुरंग शुरू होने और खत्‍म होने पर खंभे लगाकर कैमरा इंस्‍टॉल होंगे। सारा डेटा और इमेज/वीडियो कम्‍युनिकेशंस लाइंस के जरिए कंट्रोल रूम भेजा जाएगा।

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