कब्रिस्तान, श्मशान और सरकार के आंकड़ों में अंतर, BJP और कांग्रेस हमलावर

नई दिल्ली, 12 मई 2020, कोरोना वायरस की महामारी से निपटने के लिए सरकार और विपक्षी दल मिलकर एक टीम की तरह काम करने के दावे करते रहे, लेकिन लॉकडाउन 3.0 में राजनीति भी होने लगी है. दिल्ली में कब्रिस्तान, श्मशान घाट और सरकार के आंकड़ों में कोरोना से होने वाली मौत के आंकड़ों में अंतर होने का मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है. विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस अब इस मामले को लेकर राज्य की AAP सरकार पर हमलावर हैं. दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अनिल चौधरी ने सरकार पर आरोप लगाया कि वह मुआवजे से बचने के लिए मौतों के आंकड़े को कम दिखा रही है. अगर अस्पताल ही सरकार की बात नहीं सुन रहे, तो इस महामारी से ये कैसे लड़ रहे हैं. उन्होंने कहा कि डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के तहत मौत होने पर मुआवजा देना सरकार के लिए आवश्यक है. ऐसे में सरकार मुआवजे से बचने के लिए ही मौत के आंकड़ों को छुपा रही है. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने सवाल उठाते हुए कहा कि जब अस्पताल ही सरकार की बात नहीं मान रहे, तो सोचिए ये महामारी कैसे रोक पाएंगे? गौरतलब है कि दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा था कि अस्पताल मौत के आंकड़े समय पर नहीं दे रहे. वहीं, रविवार को दिल्ली के चीफ सेक्रेटरी ने इस बाबत लेटर लिखा था और अस्पतालों को ताकीद की थी कि डेथ ऑडिट कमिटी को मौत की रिपोर्ट सौंपे. दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष मनोज तिवारी ने प्रदेश सरकार पर आंकड़ा छुपाने के पीछे सस्ती लोकप्रियता पाने की चाह को असली वजह बताया. तिवारी ने श्मशान और अस्पतालों के आंकड़े मेल न खाने के पीछे सरकार का खेल बताया. वहीं, नॉर्थ एमसीडी और साउथ एमसीडी ने श्मशान घाट पर होने वाले अंतिम संस्कार का आंकड़ा जारी कर सरकार पर निशाना साधा है. नॉर्थ एमसीडी के मुताबिक निगम बोध घाट पर 9 नई तक 153 कोरोना पॉजिटिव या संदिग्ध मरीजों के शव का अंतिम संस्कार कोरोना प्रोटोकॉल के तहत हुआ. वहीं, साउथ एमसीडी में 10 मई तक पंजाबी बाग घाट पर 96 अंतिम संस्कार हुए. आईटीओ कब्रिस्तान में 91 शवों को दफन किया गया. यानी दोनों निगम के आंकड़ों के मुताबिक 340 शवों का अंतिम संस्कार कोरोना प्रोटोकॉल के तहत किया गया. जबकि, दिल्ली सरकार ने कोरोना से होने वाली मौतों की संख्या 73 बताई है. आंकड़ों के आधार साउथ एमसीडी के चेयरमैन भूपेंद्र गुप्ता ने आरोप लगाया है कि केजरीवाल सरकार आंकड़े छिपा रही है.

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