न नई नौकरियां, न नए प्रोजेक्ट', कोरोना संकट के बीच उद्धव सरकार का फैसला

मुंबई, 05 मई 2020,देश में कोरोना संकट की मार सबसे ज्यादा महाराष्ट्र पर पड़ी है. कोरोना लॉकडाउन और सबसे ज्यादा संक्रमित मरीजों के मिलने की वजह से राज्य की अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान हुआ है. लिहाजा इस संकट से निपटने के लिए महाराष्ट्र की उद्धव सरकार ने अपने बड़े खर्चों में कटौती का ऐलान किया है. साथ ही राज्य सरकार ने नई विकास परियोजनाओं और नई भर्तियों पर कुछ दिनों के लिए ब्रेक लगा दिया है. असल में, उद्धव सरकार ने कोविड-19 संकट के चलते बने आर्थिक हालात से निपटने को लेकर महाराष्ट्र के लिए कुछ योजनाएं तैयार की हैं. राज्य सरकार ने खर्चों में कटौती के लिए कई प्रस्ताव दिए हैं. योजनाओं की समीक्षा कोरोना संकट से निपटने के लिए महाराष्ट्र सरकार जारी योजनाओं की समीक्षा कर रही है और प्राथमिकता के आधार यह तय कर रही है अमुक योजना चलेगी या अभी उसे स्थगित या रद्द किया जाएगा. जिन योजनाओं को कैंसिल करना होगा वो तमाम विभाग इसके बारे में राज्य सरकार को 31 मई तक जानकारी देंगे. बजट का केवल 33% धन मिलेगा तैयार प्रस्ताव के मुताबिक प्रत्येक विभाग को कुल बजटीय भत्ते का केवल 33% धन मिलेगा. प्रस्ताव में कहा गया है कि हरेक कार्यक्रम की समीक्षा की जानी चाहिए और केवल आवश्यक योजनाओं को अंतिम रूप दिया जाना चाहिए. प्रस्ताव के मुताबिक नई योजनाओं पर कोई खर्च नहीं होगा. किन्हीं नई योजनाओं को भी प्रस्तावित नहीं किया जाएगा. यह उन योजनाओं पर भी लागू होगा जिन्हें मार्च 2020 तक कैबिनेट द्वारा अनुमोदित किया गया था. विभागों के व्यय की प्राथमिकता तय की गई है. इसके मुताबिक सार्वजनिक स्वास्थ्य, औषधि प्रशासन, राहत और पुनर्वास, खाद्य और नागरिक आपूर्ति सरकार की प्राथमिकता में रहेगी. हालांकि व्यय को केवल कोरोना एहतियाती और उपचार संबंधी परिचालन खर्चों पर ही सीमित रखा जाएगा. नई विकास परियोजनाओं और भर्तियों पर ब्रेक आपातकालीन चिकित्सा उपकरणों से संबंधित खरीद की अनुमति है. इसके अलावा कोई नया निर्माण, विकास कार्य नहीं किया जाएगा. चालू और स्वीकृत कार्य जारी रहेंगे. जन स्वास्थ्य और औषधि प्रशासन विभाग को छोड़कर किसी अन्य विभाग में कोई नई भर्ती नहीं की जाएगी. वित्तीय वर्ष के दौरान किसी भी अधिकारी या कर्मचारी को स्थानांतरित नहीं किया जाएगा. बता दें कि फरवरी 2020 में वित्त मंत्री अजीत पवार ने 2020-21 के लिए 4.34 लाख करोड़ रुपये का बजट पेश किया था. इसे महाराष्ट्र के इतिहास में अब तक के सबसे अधिक कटौती के रूप में देखा जा रहा है.

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