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देहरादून में बनती है कोरोना की वह दवाई जिसकी मांग ट्रंप ने उठाई

देहरादून, 08 अप्रैल 2020, चीन से शुरू हुई कोरोना वायरस की महामारी ने पूरी दुनिया में डर का माहौल पैदा कर दिया है. भारत भी इससे अछूता नहीं है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 21 दिन के लॉकडाउन का ऐलान किया है ताकि कोरोना वायरस के संक्रमण की कड़ी को तोड़ा जा सके. चीन से शुरू हुई इस महामारी ने अमेरिका जैसे सुपर पावर देश की भी कमर तोड़ दी है. अब वह मदद के लिए भारत की राह देख रहा है. जिस दवाई से अमेरिका इस वायरस से लड़ने के लिए वैक्सिन तैयार करना चाहता है, वह दवाई उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में बनती है. बता दें, कोरोना वायरस को लेकर भारत सरकार की तैयारियों की तारीफ न केवल विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) कर रहा है बल्कि विश्व के कई देश भी भारत से मदद मांग रहे हैं. इसका हालिया प्रमाण तब मिला जब दुनिया के सबसे ताकतवर देश अमेरिका ने भी भारत में बनने वाली कोरोना वायरस में कारगर दवाई की मांग की है. इस दवाई का उत्पादन भारी मात्रा में उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के सेलाकुई स्थित सिडकुल में हो रहा है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप सहित विश्व के हर वो देश जहां पर कोरोना वायरस का बड़ा खतरा है, वहां इस वक्त सबसे ज्यादा जरूरत दो दवाइयों की पड़ रही है. इनके नाम हैं- हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन और कोलोगिन फॉस्फेक्ट लेरियागो टैबलेट. लॉकडाउन के बाद देश की तमाम फैक्ट्री बंद हो गई थीं लेकिन जैसे ही देश को हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन और कोलोगिन फॉस्फेक्ट लेरियागो टैबलेट की अधिक जरूरत महसूस हुई, वैसे ही दवाई बनाने वाली कंपनियों को उत्पादन करने के लिए तुरंत आदेश दिए गए. इनमें सेलाकुई की कंपनी इप्का भी शामिल है. कंपनी के प्लांट हेड गोविंद बजाज से बात करने पर पता चला कि प्लांट को खोलने में स्टाफ की काफी दिक्कत आ रही है. सभी स्टाफ इस महामारी से घबराए हुए हैं. ऐसे में देहरादून पुलिस ने मदद की और न केवल सभी स्टाफ को समझाया बल्कि पुलिस ने उनके आने-जाने की भी अच्छी व्यवस्था की ताकि प्लांट में सभी कर्मचारी आसानी से आ सकें. अब देश की जरूरत को पूरा करने के लिए इस कंपनी के कर्मचारी दिन-रात शिफ्ट में काम कर रहे हैं. फिलहाल मांग को देखते हुए 300 कर्मचारी से काम लिया जा रहा है जो दिन-रात लगे हैं. इप्का देहरादून के अलावा अपने सिक्किम प्लांट में भी इस दवाई का उत्पादन दिन रात कर रही है. प्लांट हेड गोविंद बजाज का कहना है कि इस संकट की घड़ी में सबसे पहले वे देश की जरूरत को पूरा करने की कोशिश कर रहे हैं. गोविंद बजाज ने बताया कि पहले कोलोगिन फॉस्फेक्ट लेरियागो टैबलेट का उत्पादन हर महीने लगभग 2 करोड़ का किया जा रहा था लेकिन इस महीने जरूरत के साथ इसे बढ़ा कर 5 करोड़ किया गया है. इतना ही नहीं हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन हर महीने डेढ़ करोड़ टैबलेट बन रही थी, लेकिन अब इसे ढाई करोड़ किया गया है जिसे और बढ़ाया जा रहा है. गोविंद बजाज ने कहा है कि सरकार अगर हमसे ये कहती है कि उत्पादन बढ़ा कर दूसरे देश को भी दवाई उपलब्ध करवानी है, तो वो इस काम के लिए पीएम मोदी के साथ खड़े हैं.

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