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नई दिल्ली वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने में केंद्र के साथ राज्य सरकारें भी तेजी से काम कर रही हैं। सरकार को आशा है कि कोरोना वायरस के हॉटस्पॉट और हाई रिस्क जोन में रणनीति के तहत काम करने के बाद अब संक्रमण के मामलों में कमी आएगी। फिर भी डर बना हुआ है कि तबलीगी जमात जैसी कोई भी अन्य घटना उनकी मेहनत पर पानी फेर सकती है। तबलीगी जमात के सदस्यों को ट्रैक कर जांच करने में केंद्र सरकार को राज्यों का भी भरपूर साथ मिला है। हालांकि, अब भी बड़ी संख्या में ऐसे जमाती भी हैं जो छिपे हुए हैं। इसके अलावा कई जगहों से ऐसी भी घटनाएं सामने आई हैं जहां स्वास्थ्य कर्मियों पर थूकने, पानी फेकने के साथ ही उनपर पत्थरबाजी भी की गई। मंगलवार को कोरोना वायरस को लेकर ब्रीफिंग में स्वास्थ्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने बताया कि हमने कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए दो रणनीतियों को अपनाया है। जिसमें से क्लस्टर रोकधाम रणनीति (Cluster Containment Strategy) प्रमुख है। इसे किसी क्षेत्र में संक्रमण की दर ज्यादा होने के हालात में लागू किया जाता है। जिले के कलेक्टर निभा रहे बड़ी भूमिका लव अग्रवाल के अनुसार, इस रणनीति को लागू करने के लिए संबंधित राज्यों और विशेष रूप से वहां के कलेक्टरों को निर्देशित करते हैं। जिसके तहत संबंधित जिले के कलेक्टर विशेष रणनीति बनाकर संक्रमण की दर को कम करते हैं। अधिकारियों ने यह भी चिंता व्यक्त की है कि संक्रमण की दर कम होने की स्थिति में भी प्रतिबंधों को हटना सही नहीं होगा क्योंकि इससे कोरोना के प्रकोप का खतरा बढ़ सकता है। इन राज्यों में दिखा सकारात्मक असर, कम हुई मरीजों की संख्या आइसोलेशन और रोकधाम की रणनीति ने महाराष्ट्र के मुंबई, हरियाणा के नूह और पलवल और राजस्थान के भीलवाड़ा में संक्रमण की दर को कम करने में बड़ी भूमिका निभाई। इसके अलावा उत्तर प्रदेश के आगरा, गौतमबुद्ध नगर (नोएडा) और पूर्वी दिल्ली जैसे जिलों में भी सकारात्मक असर देखने को मिला। स्वास्थ्य मंत्रालय ने जारी किए दिशानिर्देश मंत्रालय ने क्लस्टर नियंत्रण और प्रकोप नियंत्रण के लिए दिशानिर्देश भी जारी किए हैं। जिससे कोरोना वायरस से संक्रमितों की निगरानी करने, क्वारंटीन सुविधाओं की निगरानी करने, संदिग्ध व्यक्तियों के स्वास्थ्य पर नजर रखने और घरों में आईसोलेट करने में सहायता मिल रही है।

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