BJP में शामिल हो गए ज्योतिरादित्य सिंधिया, दादी विजयराजे का सपना पूरा

ै नई दिल्ली/भोपाल कांग्रेस को भोपाल से लेकर दिल्ली तक हिलाकर रख देने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बीजेपी से नाता जोड़ लिया है। बुधवार दोपहर उन्होंने बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा की मौजूदगी में भगवा पार्टी का दामन थाा। नड्डा ने सिंधिया का पार्टी में स्वागत करते हुए उनकी दादी राजमाता विजयाराजे सिंधिया का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि सिंधिया का आना बीजेपी के लिए एक परिवार के सदस्य की तरह है क्योंकि उनकी दादी ने जनसंघ से बीजेपी तक को अपना काफी योगदान दिया है। पूरा सिंधिया परिवार बीजेपी में लिखें ज्योतिरादित्य के आने से अब एक तरह से पूरा सिंधिया परिवार ही बीजेपी के खेमे में है। उनकी दादी दिवंगत विजय राजे सिंधिया इसी पार्टी में थीं। सिंधिया की बुआ यशोधरा राजे मध्य प्रदेश से बीजेपी विधायक हैं। सिंधिया की एक अन्य बुआ वसुंधरा राजे बीजेपी नेता हैं और वह राजस्थान की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं। सिंधिया के पिता माधव राव सिंधिया ने भी अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत 1971 में जनसंघ के सांसद के रूप में की थी और बाद में वह कांग्रेस में शामिल हो गए थे । मंगलवार को सिंधिया ने दिया कांग्रेस से इस्तीफा मंगलवार सुबह जब पूरा देश होली का जश्न मना रहा था, तभी सिंधिया ने बीजेपी के वरिष्ठ नेता और गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनके 7, लोक कल्याण मार्ग स्थित आवास पर मुलाकात की। इसके बाद सिंधिया ने अपने इस्तीफे को सार्वजनिक किया था। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को नौ मार्च को लिखे इस्तीफे में सिंधिया ने कहा कि उनके लिए आगे बढ़ने का समय आ गया है, क्योंकि इस पार्टी में रहते हुए अब वह देश के लोगों की सेवा करने में अक्षम हैं। कांग्रेस के महासचिव एवं पूर्ववर्ती ग्वालियर राजघराने के वंशज ज्योतिरादित्य सिंधिया के इस कदम से बौखलाई कांग्रेस ने उन्हें पार्टी विरोधी गतिविधि के कारण पार्टी से निकाल दिया था। कमलनाथ से थी सिंधिया की खींचतान मध्य प्रदेश कांग्रेस के कभी चमकते सितारे रहे सिंधिया और मुख्यमंत्री कमलनाथ के बीच लंबे समय से खींचतान चल रही थी। दिसंबर 2018 में मध्य प्रदेश विधानसभा का चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस ने कमलनाथ को मुख्यमंत्री बनाया। हालांकि, समस्या हाल में शुरू हुई, जब सरकार में सिंधिया समर्थकों को दरकिनार किया गया और ऐसा लगता है कि मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनने की उनकी महत्वाकांक्षा भी विफल कर दी गई। यह भी बताया जाता है कि पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व उनकी शिकायतें सुनने को तैयार नहीं था। इस सप्ताह के अंत में, सिंधिया और कमलनाथ मंत्रिमंडल के छह मंत्री बेंगलुरु गए और उनसे संपर्क नहीं हो पा रहा था। इसके बाद यह स्पष्ट हो गया कि पार्टी में बगावत हो गई है। मंगलवार को सिंधिया ने कांग्रेस से दिया था इस्तीफा कांग्रेस के युवा नेता सिंधिया ने मंगलवार को पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। इसके साथ ही उनके समर्थक 22 विधायकों ने भी कांग्रेस छोड़ दी थी। इससे कमलनाथ सरकार पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। ऐसी अटकले हैं कि सिंधिया को राज्यसभा का टिकट दिया जा सकता है और उन्हें केंद्रीय मंत्री बनाया जा सकता है।

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