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दिल्‍ली के एम्‍स में कोवैक्‍सीन का बच्‍चों पर ट्रायल आज से शुरू, तीसरी लहर की आशंका के मद्देनजर है खास

नई दिल्‍ली । देश की राजधानी स्थित अख‍िल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्‍थान (AIIMS) में सोमवार से बच्‍चों पर कोवैक्‍सीन का ट्रायल शुरू हो रहा है। इस वैक्‍सीन को भारत बायोटेक ने बनाया है। कोवैक्‍सीन के इस बच्‍चों पर होने वाले इस क्‍लीनिकल ट्रायल के लिए डीसीजीआई ने 11 मई को अपनी मंजूरी दी थी। ट्रायल के पहले चरण में 18 बच्चों को शामिल किया जाएगा। इस पूरे परीक्षण आठ सप्‍ताह में पूरा करने का लक्ष्‍य निर्धारित किया गया है। इसमें बच्‍चों पर वैक्‍सीन के असर और शरीर की प्रतिरोधक क्षमता का अध्‍ययन किया जाएगा। को पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। आपको बता दें कि पटना स्थित एम्‍स में इस वैक्‍सीन का क्‍लीनिकल ट्रायल 2 से 18 वर्ष के बच्‍चों के ऊपर 3 जून से शुरू कर दिया है। इसके तहत बच्‍चों की पूरी स्‍क्रीनिंग की जा रही है। उनके पूरी तरह से स्‍वस्‍थ्‍य होने के बाद ही उनको इसकी खुराक दी गई है। गौरतलब है कि विशेषज्ञ इस बात को लगातार कह रहे हैं कि भारत में कोरोना महामारी की तीसरी लहर आ सकती है। विशेषज्ञों को इस बात की भी आशंका है कि इस लहर में वायरस का सबसे अधिक प्रभाव बच्‍चों पर पड़ सकता है। ऐसे में बच्‍चों के ऊपर हो रहे क्‍लीनिकल ट्रायल को इसकी एक ढाल के तौर पर देखा जा रहा है। दिल्‍ली, पटना के अलावा इस वैक्‍सीन का बच्‍चों पर क्‍लीनिक ट्रायल के लिए नागपुर स्थित मेडिट्रिना इंस्‍टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस को भी चुना गया है। पटना की ही बात करें तो कोवैक्‍सीन का ये ट्रायल 12 से 18 वर्ष की उम्र के बच्‍चों पर किया जा रहा है। इसके बाद इसको 6-12 और फिर 2-6 वर्ष के बच्‍चों पर किया जाएगा। आपको बता दें कि एक तरफ जहां पर कई देशों ने अलग-अलग आयुवर्ग के बच्‍चों को वैक्‍सीन की खुराक देने को मंजूरी दे दी है वहीं विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन का कहना है कि बच्‍चों को वैक्‍सीन देना उसकी प्राथमिकता में शामिल नहीं है। संगठन का कहना है कि वैक्‍सीन की सबसे पहले जिन लोगों जरूरत है उन्‍हें ही ये दी जानी चाहिए।

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