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'लव जिहाद' पर कानून किसी धर्म के खिलाफ नहीं, किसी धर्म के पक्ष में नहीं : वीएचपी

नई दिल्ली यूपी सरकार के 'लव जिहाद' के खिलाफ कानून का समर्थन करते हुए वीएचपी ने उम्मीद जताई कि सभी इसका समर्थन करेंगे। वीएचपी के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने एनबीटी से बात करते हुए कहा कि धर्म परिवर्तन का कानून बनाने वाले पहले राज्य कांग्रेस के थे, मध्य प्रदेश और उड़ीसा। उन्होंने कहा कि मानव की गरिमा के अनुकूल कानून बनने चाहिए। वीएचपी अध्यक्ष ने कहा कि क्या किसी कम आयु की लड़की को धोखे से प्रेम के जाल में फंसाकर शादी करना, हिंदू हैं ऐसा दिखाकर शादी करना, क्या कोई भी सभ्य समाज इसकी अनुमति देगा? क्या कोई धर्म परिवर्तन को लालच से, धोखे से या दबाव से करने की अनुमति देगा? उन्होंने कहा कि यह केवल हिंदू-मुस्लिम इश्यू नहीं है। यह भारत की गरिमा का इश्यू है। यह कानून इंटरफेथ मैरिज को नहीं रोकता है, यह धर्म परिवर्तन को भी नहीं रोकता है, यह धोखे और दबाव से हुए धर्म परिवर्तन को रोकता है। बहकाकर होने वाली शादियों को रोकता है। इसलिए सभी को इसका समर्थन करना चाहिए। यह किसी धर्म के खिलाफ नहीं है, यह किसी धर्म के पक्ष में नहीं है। 'लव जिहाद का मकसद जनसंख्या बढ़ाना' आलोक कुमार ने कहा कि लव जिहाद का विरोध सिर्फ हमने शुरू नहीं किया, केरल में यह मामला वहां के क्रिश्चिंस ने शुरू किया था। यह एक समस्या है जिसमें जिहाद एक मनोवृति है कि अपने धर्म में सबको लाना। अगर मान जाएं तो मनाकर, नहीं माने तो धोखे से या हिंसा से। इस मनोवृति की वजह से जनसांख्यिकी आक्रमण हो रहा है उसके खिलाफ लड़ाई लड़नी जरुरी है। वीएचपी नेता ने कहा कि लव जिहाद एक वास्तविकता है। इसके पीछे जनसंख्या बढ़ाने का तर्क है। इस मनोवृति से लड़ना होगा। कानून में लव जिहाद शब्द नहीं है। उन्होंने कहा कि कि हमें संदेह है कि इसमें दुनिया भर का पैसा आता है। यह आर्गनाइज्ड एक्टिविटी है और ऐसा मानने के पर्याप्त आधार हैं। जनसंख्या नियंत्रण के विषय को धर्म से नहीं जोड़ना चाहिए' अगर अपने धर्म की जनसंख्या बढ़ाने के लिए लव जिहाद हो रहा है तो क्या अब जनसंख्या नियंत्रण कानून पर काम होगा? यह पूछने पर वीएचपी नेता आलोक कुमार ने कहा कि जनसंख्या नियंत्रण के विषय को धर्म से नहीं जोड़ना चाहिए। यह मानव के अस्तित्व का सवाल है। आबादी ऐसे ही बढ़ती रही, जमीन और संसाधनों पर दबाव बढ़ता रहा तो धरती पाल नहीं पाएगी। यह सच है कि जनसंख्या नियंत्रण को कुछ वर्गों ने नहीं अपनाया है उनको भी मानने को कहा जाना चाहिए। लेकिन यह किसी धर्म की संख्या कम - ज्यादा करने का मुद्दा नहीं है। यह मानव मात्र के अस्तित्व को बनाए रखने के लिए है।

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