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मतदान से पहले सोचिए:आपका एक-एक वोट अमूल्य है,स्वार्थी वोट के सौदागरों से रहें सावधान

मदन अरोड़ा, सनातन के सबसे बड़े पर्व दीपोत्सव के बाद 25 नवंबर को देश के लोकतंत्र का सबसे बड़ा त्यौहार है।मतदाताओं द्वारा अपने बच्चों और इलाके के उज्ज्वल भविष्य को संवारने की बारी है।एक-एक वोट अमूल्य है।इसकी ताकत और मूल्य को समझने की जरूरत है। भविष्य को संवारने वाला वोट बिकाऊ नहीं हो सकता लेकिन उसे स्वार्थी नेताओं ने बिकने वाली चीज बना दिया है।बेगैरत लोग अपनी जमीर को चंद रुपयों और शराब के बदले बेच देते हैं।।हम धर्मनिरपेक्षता और जाति विहीन समाज की बात करते हैं। लेकिन जाति के नाम पर भी खुद बिकते हैं और अपने बच्चों के साथ ही क्षेत्र,राज्य और देश के भविष्य को दांव पर लगा देते हैं।जाति देख वोट करने वाले ,शराब और चंद रुपयों और अन्य सामान लेकर जमीर बेचने वाले अपना वोट नहीं अपने आने वाली पीढ़ी का भविष्य बेचते हैं।समाज के ठेकेदार समाज का भविष्य सुधारने के बजाए समाज का चौधरी बन समाज को ही गिरवी रख अपने स्वार्थ सिद्धि में लग जाते हैं।मतदाताओं को वोटों के खरीददारों और सौदागरों से सावधान रहने की जरूरत है।शराब का नशा तो 10- 12दिन तक रहेंगे।4-5 हजार से सप्ताह भर का राशन आ जायेगा लेकिन बाद में इसके लिए जेबें तो खुद की ही ढीली करनी होंगी।चुनाव के बाद ये दलाल और समाज,जाति के ठेकेदार आपके पास नहीं आएंगे।आपकी शक्ल तक देखना पसंद नहीं करेंगे।विपदा के समय ये आपकी कोई मदद नहीं करेंगे।मदद करेगा वही जिसे आप बिना बिके अपने विवेक से वोट डाल कर आएंगे।आपके पास जब कोई वोट मांगने के लिए आये तो पहले पूछियेगा ,उसने विकास किसका किया है।विकास के नाम पर अपना विकास कितना किया है।पूछियेगा करोड़ों रुपए की सम्पति कहां से और कैसे आई।जो पैसा विकास पर लगना चाहिए था कहीं वो उनके परिवार के विकास पर तो खर्च नहीं हुआ।लोगों को एक छोटे से मकान की छत नसीब नहीं होती ।कहते हैं सर छुपाने के लिए एक छत ही काफी होती है।इनके पास दर्जनों प्लाट कहां से और कैसे, किसके लिए आ गए।खेतिहर मजदूरों को 2 बीघा जमीन नसीब नहीं होती इनके पास 3-3मुरब्बा जमीन कहां से आ गई।खेती किसानी इनका धंधा था या नहीं।नहीं रहा तो जमीन कैसे बन गई।जब जाहिरा सम्पति इतनी है तो सोचिए बेनामी सम्पति कितनी होगी।ये सब आप ही की है।जिसे बेईमानी से इन्होंने अपने पदों का दुरुपयोग कर अर्जित कर ली है।ये सवाल तो बनता ही है कि आप विधायक बन गए तो विकास किसका करेंगे।अपने परिवार का जो आपकी सम्पति को देख कर दिख रहा है।बड़ा शोर मचाया जा रहा है।वंशवाद और परिवारवाद का।राजनीतिक पार्टियां परिवार या वंश नहीं सोचती।सोचती है तो कौन जिताऊ उम्मीदवार होगा जो उसे सत्ता में ला सकेता है।परिवारवाद को खत्म कर बदलाव की बात करने वालों से ये भी पुछियेगा कि पत्नी के बाद पति ही क्यों सभापति बनेगा।क्या ये परिवारवाद नहीं है।आपका वोट बहुत कीमती है।अपने स्वार्थ के लिए अपने सिद्धांतों,विचारधारा को तिलांजलि देने वालों के झांसे में मत आइयेगा।ये हवा बनाएंगे अबकी बार बदलाव।लेकिन काम कौन आएगा।कौन सरकार का हिस्सेदार बनेगा।किसकी सरकार आयेगी।उसमें जिसकी चलेगी वही तो काम करवा पायेगा।आपके पास वार्ड के पार्षद,पंच,सरपंच सभी आएंगे।पहले पता करिएगा की ये अपने लिए कितना माल लेकर आए हैं।कहीं आपके नाम पर ये उम्मीदवारों से पैसे लेकर अपना घर तो नहीं भर रहे।उसी जनप्रतिनिधी की बात सुनियेगा जो न खुद बिकाऊ है और न जो आपको खरीदने आया है।बार- बार अपने स्वार्थ के लिए दल बदलने वालों की बातों पर ध्यान मत दीजिए।वोट वहीं करिए जहां आपका जमीर कहेगा।मतदान से पहले रुकिए,सोचिए,कौन सा उम्मीदवार आपके क्षेत्र के विकास के लिए सरकार से फंड ला सकता है।जरूरत पड़ने पर कौन किसी बड़े अस्पताल में भर्ती करवा आपके या आपके परिवार के किसी सदस्य का ईलाज में मदद कर सकता है।कौन सरकार से मिले पैसे को शत प्रतिशत विकास पर खर्च करेगा और कौन अकूत सम्पति बनाएगा।इसे लेकर मनन जरूर करिएगा।मतदान से पूर्व अपनी पीढ़ी, प्रदेश और देश के बारे में जरूर सोचिएगा।

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