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हनुमानगढ़ विधानसभा क्षेत्र में मुकाबला होगा रोमांचक,भाजपा के अमित सहू देंगे कांग्रेस के चौ. विनोद कुमार को चुनौती,गणेश बंसल भी होंगे मैदान में

मदन अरोड़ा ।भारतीय जनता पार्टी ने हनुमानगढ़ से पूर्व मंत्री डॉ. रामप्रताप के बेटे अमित सहू पर भरोसा जताते हुए उन्हें उम्मीदवार बनाया है।अमित सहू कांग्रेस के चौ.विनोद कुमार को चुनौती देंगे।सभापति गणेश बंसल ने भी ताल ठोक दी है।वे सोमवार को निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन दाखिल करेंगे।उनके मैदान में उतरने से मुकाबला रोमांचक हो गया है।अभी तक भाजपा और कांग्रेस के करीब आधा दर्जन पार्षदों को छोड़ शेष सभी बंसल के साथ खड़े हैं।मतदान का दिन आते आते इनमें से कितने किसके साथ रहेंगे।कौन भितरघात करेगा।ये अभी गर्भ में छिपा है।हालांकि इनके पास ऐसा जनाधार नहीं है ,जिससे वे किसी दूसरे को वोट दिलवा सकें।अलबत्ता वोट खरीदने में अच्छी भूमिका निभा सकते हैं।गणेश बंसल पहली बार विधान सभा चुनाव लड़ रहे हैं।उनके लिए सभी मतदान केंद्रों पर कार्यकर्ताओं को बिठाना और मतदाताओं को बूथ तक लाना सबसे बड़ी चुनौती होगी। क्षेत्र में वे अभी ऐसी पहचान नहीं बना पाएं हैं कि वोटर खुद चल कर उनके लिए मतदान करने पहुंचे।कई उम्मीदवारों के लिए खुद जनता चुनाव लड़ती है ।ऐसा अभी गणेश बंसल के पक्ष में होता नहीं दिख रहा।अगले 20 दिनों में किस तरह की रणनीति बना मतदाताओं को अपने साथ जोड़ते हैं।उस पर इनकी हार जीत तय होगी।वे राजनीतिक पृष्ठभूमि के हिसाब से कांग्रेसी हैं।उनके समर्थकों में हर विचारधारा को लोग हैं।लेकिन उनमें बाहुल्य कांग्रेस विचारधारा के लोगों का होने से कांग्रेस उम्मीदवार चौ.विनोद कुमार को ही अधिक नुकसान होगा। पिछले 7 चुनावों से डॉ. रामप्रताप का चौ.आत्मा राम के परिवार के बीच मुकाबला होता आ रहा है।इस बार डॉ. राम प्रताप के बजाए उनके बेटे अमित सहू चुनौती दे रहे हैं।।पिछले 7 चुनावों में हार जीत के अंतर को देखें तो डॉ राम प्रताप ने सर्वाधिक मतों से चौ. विनोद कुमार को मात दी है। डॉ राम प्रताप 3 बार चुनाव जीते हैं और इनका अंतर 3356 से 30487 मतों का रहा है।डॉ राम प्रताप ने 1998 में चौ. विनोद कुमार के पिता कांग्रेस और हनुमानगढ़ जिले के कद्दावर नेता चौ.आत्माराम को 3356 मतों से मात दी थी।जबकि डॉ. रामप्रताप ने चौ. विनोद कुमार को 1993 में 13825 और 2013 में अब तक के सर्वाधिक 30487 मतों से पराजित किया था।इसके विपरीत चौ.विनोद कुमार चार बार चुनाव जीते।उनकी जीत का अंतर मात्र 387 से 15522 मतों का ही रहा।2008 में मतदान के दौरान भाजपा कार्यकर्ताओं का मतदान केंद्र पर हुए एक मामूली से झगड़े ने जीत की मुहाने पर खड़े डॉ. राम प्रताप की जीत को हार में बदल दिया और चौ. विनोद कुमार 386 मतों से चुनाव जीत गए।2018 के चुनाव में चौ.विनोद कुमार 15522 मतों से डॉ. राम प्रताप को हराने में सफल हुए थे।ये उनकी जीत का सबसे बड़ा अंतर रहा ।हनुमानगढ़ विधानसभा क्षेत्र में 1957 से लेकर अब तक 30487 मतों से सबसे बड़ी जीत 2013 में डॉ. रामप्रताप और सबसे कम 386 मतों से जीत 2008 में चौ.विनोद कुमार के नाम दर्ज है।इस बार मुकाबला त्रिकोणीय माना जा रहा है।हालांकि मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच ही दिख रहा है लेकिन गणेश बंसल को कमत्तर आंकना बड़ी भूल होगी।आम आदमी पार्टी का क्षेत्र में कोई वजूद नहीं है।पार्टी उम्मीदवार सचिन कौशिक विप्र वोटों तक ही सिमटते दिख रहे हैं।माकपा के रघुवीर वर्मा हर बार की तरह 3 से 4 हजार तक वोट ले जाएंगे। अभी तक जितने निर्दलीय नामांकन हुए है वे 2 हजार से नीचे ही सिमट जाएंगे।उनकी उपस्थिति का कोई उल्लेखनीय असर चुनाव परिणामों पर पड़ता नहीं लग रहा।

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