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यूपी: OBC आरक्षण का तीन हिस्सों में बंटवारा, योगी सरकार के लिए कितना मुश्किल होगा?

नई दिल्ली , 06 जनवरी 2021,उत्तर प्रदेश की योगी सरकार पिछड़े वर्ग को मिलने वाले 27 फीसदी आरक्षण में बड़ा फेरबदल करने जा रही है. प्रदेश के पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री अनिल राजभर ने खुद मंगलवार को कहा कि सरकार जल्द ही 27 फीसदी आरक्षण को पिछड़ा, अति पिछड़ा और अत्यंत पिछड़ा तीन भागों में बांटने जा रही है. उन्होंने कहा कि पिछली सरकार में पिछड़े वर्ग को मिलने वाले 27 फीसदी आरक्षण में से 67.56 फीसदी का लाभ एक जाति विशेष को मिला लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. माना जाता है कि ओबीसी आरक्षण का सबसे ज्यादा फायदा यूपी में यादव, कुर्मी, कुशवाहा और जाट समुदाय को मिल रहा है. यही वजह है कि ओबीसी की अन्य दूसरी जातियां लंबे समय से ओबीसी आरक्षण में बंटवारे की मांग उठाती रही हैं. बीजेपी ने 2017 के चुनाव में गैर-यादव ओबीसी समुदाय को अपने पाले में लाकर 14 साल के सत्ता के वनवास को खत्म किया था. यही वजह रही कि योगी सरकार ने सत्ता में आते ही जस्टिस राघवेंद्र कुमार की अगुवाई में 4 सदस्यीय उत्तरप्रदेश पिछड़ा वर्ग सामाजिक न्याय समिति का गठन कर दिया, जिसकी रिपोर्ट 2019 में ही सरकार को सौंपी जा चुकी है. हालांकि, अभी तक यह रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई है. ओबीसी के आरक्षण में पिछड़ों का हिस्सा बांटने की मांग को लेकर सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने बीजेपी से नाता तोड़ लिया था और योगी सरकार के मंत्रिमंडल से भी इस्तीफा दे दिया था. बीजेपी की एक अन्य सहयोगी पार्टी अपना दल (एस) आरक्षण में बंटवारे के पक्ष में नहीं है. अपना दल (एस) की नेता अनुप्रिया पटेल इसका खुलकर विरोध कर चुकी हैं. यूपी में हैं 234 पिछड़ी जातियां उत्तर प्रदेश में ओबीसी के तहत 234 जातियां आती हैं. उत्तरप्रदेश पिछड़ा वर्ग सामाजिक न्याय समिति ने अपनी रिपोर्ट में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण को इनके लिए तीन भागों में बांटने की सिफारिश की है. पिछड़ा वर्ग, अति पिछड़ा और सर्वाधिक पिछड़ा. पिछड़े वर्ग में सबसे कम जातियों को रखने की सिफारिश की गई है, जिसमें यादव, कुर्मी जैसी संपन्न जातियां हैं. अति पिछड़े में वे जातियां हैं जो कृषक या दस्तकार हैं और सर्वाधिक पिछड़े में उन जातियों को रखा गया है, जो पूरी तरह से भूमिहीन, गैरदस्तकार, अकुशल श्रमिक हैं. माना जा रहा कि इसी सिफारिश के आधार पर योगी सरकार के पिछड़ा वर्ग के मंत्री अनिल राजभर ओबीसी आरक्षण को तीन हिस्सों में बांटने की बात कर रहे हैं. ओबीसी के लिए आरक्षित कुल 27 प्रतिशत कोटे में संपन्न पिछड़ी जातियों में यादव, अहीर, जाट, कुर्मी, सोनार और चौरसिया सरीखी जातियां शामिल हैं. इन्हें 7 फीसदी आरक्षण देने की सिफारिश की गई है. अति पिछड़ा वर्ग में गिरी, गुर्जर, गोसाईं, लोध, कुशवाहा, कुम्हार, माली, लोहार समेत 65 जातियों को 11 प्रतिशत और मल्लाह, केवट, निषाद, राई, गद्दी, घोसी, राजभर जैसी 95 जातियों को 9 प्रतिशत आरक्षण की सिफारिश की गई है. उत्तर प्रदेश की सियासत जाति के इर्द-गिर्द ही सिमटी हुई है. यादव समुदाय जहां सपा का मजबूत वोटबैंक माना जाता है तो कुर्मी और कुशवाहा समुदाय फिलहाल बीजेपी के साथ मजबूती से खड़ा है. बीजेपी की यूपी में सहयोगी अपना दल (एस) का आधार भी कुर्मी समुदाय है, जिसके चलते वो जातिगत जनगणना के आधार पर जिसकी जितनी हिस्सेदारी हो उसी अनुपात में आरक्षण की भागीदारी होनी की बात करती रही है. यही बात समाजवादी पार्टी भी सूबे में करती रही है. सूबे के राजनीतिक समीकरण को देखते हुए योगी सरकार भी दो सालों से इसे ठंडे बस्ते में डाले हुए है. ओमप्रकाश राजभर इसी मुद्दे पर बीजेपी का साथ छोड़कर अलग हो चुके हैं और योगी सरकार के मंत्री अनिल राजभर ने इस मुद्दे को उठाकर एक बार फिर ओबीसी आरक्षण के अंदर आरक्षण के जिन्न को जिंदा कर दिया है. ऐसे में देखना है कि सरकार क्या ओबीसी आरक्षण को बांटने का फैसला चुनाव से पहले कर सकेगी.

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