लद्दाख में जारी भारत-चीन सीमा विवाद पहले से अलग कैसे

मई के शुरुआती हफ्ते में एलएसी पर दो बार भारतीय सेना के साथ झड़प के बाद चीन के पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने दो ब्रिगेड के 6,000 से अधिक सैनिकों के साथ पूर्वी लद्दाख के चार, गलवान घाटी के तीन और पंगोंग लेक के एक स्थान के पास घुसपैठ कर दी। जिसके जवाब में भारत ने भी अधित ऊंचाई वाले इन स्थानों पर अपने सैनिकों की तैनाती बढ़ा दी। चीन ने आपत्ति जताई कि भारत गलवान घाटी इलाके में निर्माण कर रहा है जो एलएसी पर स्थिरता के खिलाफ है। पिछले बार से अलग है इस बार का सीमा विवाद सीमा पर दो परमाणु शक्ति संपन्न देशों की सेनाओं के बीच तनातनी के बाद दोनों देशों की सैन्य और राजनीतिक गलियारों में भी हलचल तेज हो गई। हालांकि यह डोकलाम जैसा नहीं था, जब दोनों देशों की सेनाएं 73 दिनों तक एक दूसरे के सामने डटी रहीं थी। इसके पहले भी चीन ने 2013 में डेपसांग, 2014 में चुमुर और 2017 में डोकलाम में विवाद को जन्म दिया था, लेकिन इस बार सीमा पर तनाव इससे थोड़ा अलग है। एक से अधिक जगहों पर तनाव चीन से पिछले कई सीमा विवादों के विपरीत इस बाद दोनों देशों के बीच तनाव एक से अधिक स्थानों पर है। जिसमें पैंगोंग त्सो लेक, लद्दाख की गालवान घाटी और गोगरा पोस्ट, सिक्किम में नाथूला पास शामिल है। हालांकि ताजा जानकारी के अनुसार, चीन ने नाथूला पास और गालवान घाटी के कुछ इलाकों से अपनी सेना को हटा लिया है। भारत में निवेश प्रतिबंधों से परेशान था चीन भारतीय कंपनियों में चीनी निवेश पर भारत के प्रतिबंध और चीन निर्मित उत्पादों के बहिष्कार पर सरकार के आह्वान को चीन ने वुहान समझौते के उल्लंघन माना था। बता दें कि इस समझौते पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कुछ साल पहले हस्ताक्षर किए थे। जिसमें दोनों देश मित्र राष्ट्र की तरह एक दूसरे के भागीदार होने पर सहमत हुए थे। इसके अलावा अमेरिका से बढ़ती नजदीकियों से भी चीन परेशान था। लद्दाख को केंद्रशासित प्रदेश बनाने से चीन की नाराजगी अपने सदाबहार दोस्त पाकिस्तान की तर्ज पर चीन ने भी जम्मू-कश्मीर से अगस्त में अनुच्छेद 370 के खत्म होने पर भारत पर क्षेत्रीय सीमाओं को तोड़ने का आरोप लगाया था। बता दें कि अगस्त में भारत ने लद्दाख को केंद्रशासित प्रदेश बना दिया था जिसके बाद चीन ने इसे अस्वीकार्य बताया था। इतना ही नहीं, चीन ने इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अनौपचारिक बैठक में भी उठाया था। हालांकि, भारत ने इसे आंतरिक मामला बताते हुए कहा था कि लद्दाख को केंद्रशासित प्रदेश घोषित करने से एलएसी पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। भारत के नए नक्शे से चिढ़ा था चीन सर्वे ऑफ इंडिया के नए नक्शे में लद्दाख केंद्रशासित प्रदेश में गिलगित-बाल्टिस्तान और अक्साई चिन को दर्शाया गया था। इसके बाद भारत ने 6 मई से शुरू होने वाले अपने दैनिक मौसम पूर्वानुमान में गिलगित बाल्टिस्तान को भी शामिल किया था। संसद में फरवरी में 1994 के प्रस्ताव के अनुसार पाक अधिकृत कश्मीर, गिलगित-बाल्टिस्तान और अक्साई चिन को देश का हिस्सा बताने और मिलाने के प्रस्ताव को लेकर भी चीन चिढ़ा हुआ था।

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