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कोरोना: मोदी के 20 लाख करोड़ में किस सेक्टर के लिए क्या हो सकता है, जानिए 5 पॉइंट्स में

कोरोना: मोदी के 20 लाख करोड़ में किस सेक्टर के लिए क्या हो सकता है, जानिए 5 पॉइंट्स मेंनई दिल्ली कोरोना वायरस (Coronavirus in india) की वजह से पूरे देश में लॉकडाउन है। फिलहाल लॉकडाउन 3.0 (lockdown 3.0) चल रहा है, जो 17 मई को खत्म होने वाला है। इसी बीच 12 मई की रात 8 बजे पीएम मोदी ने देश को संबोधित किया। अपने इस संबोधन में पीएम मोदी ने कहा कि 18 मई से लॉकडाउन 4.0 (lockdown 4.0) चलेगा और देश के तमाम सेक्टर्स के लिए 20 लाख करोड़ रुपए के पैकेज का ऐलान किया, जिसके जरिए वह अर्थव्यवस्था को रफ्तार देना चाहते हैं। इस पैकेज में उन्होंने एमएसएमई और कुटीर उद्योग से लेकर मिडिल क्लास और किसान का कुछ इस तरह ख्याल रखने की कोशिश की है कि अर्थव्यवस्था का ईकोसिस्टम फिर से चल पड़े। आइए जानते हैं किस सेक्टर को क्या और कैसे मिल सकता है। 1- MSME के लिए क्या? माना जा रहा है कि मोदी सरकार के इस 20 लाख करोड़ के खास पैकेज में सबसे अधिक ध्यान एमएसएमई का ही रखा गया है। इस सेक्टर में सबसे अधिक रोजगार पैदा होता है। यह भी ध्यान रखने की बात है कि बहुत सारे एमएसएमई तो पंजीकृत भी नहीं हैं, जिनके रोजगार का आंकड़ा भी मौजूद नहीं होता। लॉकडाउन की वजह से सब कुछ बंद है, जिसके चलते इकोनॉमी की रफ्तार थम सी गई है। इकोनॉमी को पुश स्टार्ट देने के लिए जरूरी है कि एमएसएमई को मदद दी जाए, जिससे बहुत सारे लोगों को रोजगार मिले। अब कयास लगाए जा रहे हैं कि इस पैकेज के तहत मुद्रा लोन का दायरा बढ़ाया जाया सकता है और इस सेक्टर को बिना गारंटी के ही लोन दिया जा सकता है। 2- मिडिल क्लास को यूं मिल सकता है फायदा पीएम मोदी ने अपने संबोधन में साफ-साफ कहा था कि ये आर्थिक पैकेज हमारे देश के मध्यम वर्ग के लिए भी है, जो ईमानदारी से टैक्स देता है। यानी यहां सीधे-सीधे बात नौकरी पेशा की है। लॉकडाउन की वजह से भले ही कोई निजी कंपनी में नौकरी करता हो या भी उसकी सरकारी नौकरी हो, सबकी सैलरी कट रही है। सरकारी नौकरी में तो कटौती मामूली है, लेकिन निजी कंपनियों में नौकरी करने वालों पर तगड़ी मार पड़ी है। वैसे भी, सरकारी कर्मचारी महज 1.5 से 2 फीसदी हैं, बाकी तो निजी कंपनियों में ही काम करते हैं। इनकी सैलरी 25-30 फीसदी तक कट रही है। इंक्रिमेंट रोक दिया गया है। बहुत से लोगों को बिना सैलरी के छुट्टी यानी लीव विदआउट पे पर भेज दिया गया है। कहीं-कहीं हालात और भी खराब हैं, जहां लोगों को नौकरी से ही निकाल दिया गया है। उम्मीद की जा रही है मोदी सरकार इस पैकेज के जरिए किसी टैक्स छूट की घोषणा करे, जिससे लोगों की जेब में अधिक पैसे बचें। जेब में अधिक पैसे होंगे तो वह खर्च करने को प्रेरित होंग, जिससे अर्थव्यवस्था को रफ्तार मिलेगी। सामान खरीदे जाने से मांग बढ़ेगी तो रोजगार भी पैदा होगा। 3- अन्नदाता के चेहरे पर यूं लाई जा सकती है खुशहाली मोदी सरकार किसानों को कभी नहीं भूलती, वह अन्नदाता जो है। लेकिन किसान पर कोरोना की मार के अलावा भी उसे तमाम चुनौतियों से जूझना पड़ रहा है। एक ओर कोरोना की वजह से पॉल्ट्री फार्म का बिजनेस तबाह हो गया, मछली पालन में सिर्फ नुकसान हो रहा है, वहीं बारिश और ओलों ने बची-खुसी कसर पूरी कर दी और फसलें तबाह कर दीं। कोरोना की वजह से सब्जियों की मांग भी घटी है। सब्जियों को मंडियों तक नहीं पहुंचा पाने की चलते भी कई जगहों पर तो किसानों को अपने गोभी-टमाटर की खड़ी फसल पर ट्रैक्टर चलाना पड़ा है। कोरोना के चलते पहले तो गेहूं की कटाई के लिए लेबर नहीं मिली और जैसे-तैसे लेबर मिली भी, तो गेहूं से लदी ट्रैक्टर ट्रॉलियां मंडी में खड़ी रहीं। इसी बीच आंधी-तूफान-बारिश ने हालात को बद से बदतर बना दिया। मोदी सरकार अपने इस पैकेज में किसानों के लिए कर्जमाफी या अतिरिक्त डायरेक्ट पैसे ट्रांसफर कर सकती है, जिससे अन्नदाता के चहरे पर खुशहाली आ सके। 4- कुटीर उद्योग को ऐसे मिलेगा सहारा पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कुटीर उद्योग का भी जिक्र किया था। ग्रामीण भारत में एक बड़ा हिस्सा है जो कुटीर उद्योग के जरिए अपनी जीविका कमाता है। लॉकडाउन ने उन पर भी बहुत ही बुरी मार की है। उम्मीद की जा रही है कि पीएम मोदी ऐसे लोगों को कुछ आर्थिक सहायता दे सकते हैं, जिससे उन्हें राहत तो मिलेगी ही, वह कुटीर उद्योग को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित भी होंगे। अपने संबोधन में पीएम ने कहा था कि जब उन्होंने देश के लोगों से खादी खरीदने के लिए कहा तो लोगों को उनका साथ दिया, उनका इशारा फिर से कुटीर उद्योग को मजबूत बनाने की ओर ही था। कुटीर उद्योग का ध्यान रखना जरूरी इसलिए है कि इस सेक्टर में जो लोग नौकरी करते हैं, वह आर्थिक रूप से बहुत अधिक संपन्न नहीं होते, जिन्हें सहारा देना जरूरी है। 5- ये सब करने का असल मकसद भी समझिए पीएम मोदी ने इस पैकेज की घोषणा इसलिए की है, ताकि अर्थव्यवस्था को रफ्तार मिल सके। उनका मकसद है कि तमाम सेक्टर फिर से अपनी रफ्तार पकड़ें जिससे मांग के साथ-साथ रोजगार भी बढ़े। सबसे अधिक ध्यान ग्रामीण भारत पर देने की जरूरत है। एक तो ग्रामीण भारत में लोगों के पास पैसे कम हैं, जिससे उनकी तरफ से मांग अधिक नहीं हो पाती है। वैसे भी, अगर बात वाइट गुड्स जैसे एसी, फ्रिज की हो तो ग्रामीण भारत में बहुत ही कम लोगों के पास ये सुविधाएं हैं, जो शहरों में जीवन का अहम हिस्सा है। अब शहर में वाइट गुड्स की मांग में कोई बढ़त नहीं देखने को मिलेगी। लोग ज्यादा से ज्यादा अपने पुराने सामान बेचकर नए खरीदेंगे, जबकि ग्रामीण भारत में इनकी मांग बढ़ सकती है, अगर उनकी जेब में पैसे बढ़े। देखा जाए तो पीएम मोदी ने 20 लाख करोड़ के इस पैकेज से अर्थव्यवस्था को ईकोसिस्टम को मजबूत बनाने की कोशिश की है।nbt

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