चीन की खतरनाक चाल, जमीन के नीचे बनी सुरंगों में छिपाई पनडुब्बियां और युद्धपोत
कोरोना महासंकट के बीच साउथ चाइना सी को लेकर चीन और अमेरिका में तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है। दोनों ही देशों के जंगी जहाजों ने साउथ चाइना सी में अपनी गश्त बढ़ा दी है। इस बीच चीन की नौसेना को लेकर एक बड़ा खुलासा हुआ है। चीन ने अपनी पनडुब्बियों को जमीन के अंदर बनी सुरंगों में छिपा दिया है। आइए जानते हैं कि विनाशकारी पनडुब्बियों को छिपाने वाली 'चीन की दीवार' के बारे में सबकुछ....
चीन ने गुप्त रणनीति के तहत बनाए कई ठिकाने
फोर्ब्स पत्रिका की रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने अपने 9000 मील तक फैले तटीय इलाके में कई नौसैनिक ठिकाने बनाए हैं। दरअसल, चीन इस रणनीति पर काम कर रहा है कि अगर अमेरिका अचानक हमला करके उसके किसी ठिकाने को तबाह भी कर दे तो वह आसानी से पलटवार कर सके। इसी दौरान चीन ने अपने कुछ नौसैनिक ठिकानों में विशाल जमीनी सुरंगें बनाई हैं।
सुरंगों के अंदर रहते हैं विशाल युद्धपोत, सबमैरिन
चीन की इन विशाल सुरंगों के अंदर बडे़-बड़े युद्धपोत और दुनिया में तबाही लाने में सक्षम पनडुब्बियों को आसानी से छिपाया जा सकता है। विशेषज्ञों के मुताबिक बंकर को तबाह करने वाले बमों और क्रूज मिसाइलों के इस दौरान में इन सुरंगों का बहुत कम महत्व है लेकिन ये सुरंगे चीनी के जंगी जहाजों को हवाई हमले और सबसे बड़ी चीज जासूसी उपग्रहों से बचाते हैं। यही नहीं ये सुरंगें अगर उन पर सीधे परमाणु हमला न हो तो वे हमले को भी झेल जाने में सक्षम हैं।
चट्टानों के बीच चीन ने बनाई हैं खास सुरंगें
चीन ने इन सुरंगों को चट्टानों के बीच में बनाया है जिससे उन्हें बचाव के लिए एक छतरी मिल गई है। इन सुरंगों में जाने के लिए चीन ने जमीन के ऊपर रास्ता बनाया है और वहां पानी के रास्ते जाया जा सकता है। हालांकि इन सुरंगों पर समुद्र के रास्ते हमला नहीं किया जा सकता है। फोर्ब्स के मुताबिक चीन की दो सुरंगें बेहद खास हैं। इनमें एक जिआंगगेझुआंग नेवल बेस पर बनी है। इस बेस पर बलिस्टिक मिसाइल से लैस सबमैरिन को छिपाया गया है। वहीं दूसरा ठिकाना यूलिन में है। यूलिन के नौसैनिक ठिकाने को परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बियों और एयरक्राफ्ट कैरियर के लिए बनाया गया है। यूलिन बेस से आसानी से दक्षिण चीन सागर में जाया जा सकता है।
लंबे समय तक युद्ध कर सकती हैं चीनी पनडुब्बियां
चीन की सुरंग बनाने की रणनीति अमेरिकी नौसेना से अलग है। ये सुरंगे किसी भी अप्रत्याशित हमले में सुरक्षा प्रदान करती हैं। इससे चीन की पनडुब्बियों के बचने की भी संभावना बढ़ जाती है। चीन की इस रणनीति पर अब स्वीडन भी बढ़ने जा रहा है। स्वीडन ने ऐलान किया है कि वह मुस्को सुपर बेस को फिर से खोलेगा जिसे कोल्ड वॉर के समय बंद कर दिया गया था। इसके अलावा पाकिस्तान, ताइवान, ईरान और उत्तर कोरिया ने भी अपने हथियारों को छिपाने के लिए सुरंगों का निर्माण किया है। इन सुरंगों के सामने आने से अब भारत और अमेरिका दोनों की चिंता बढ़ गई है। चीन बहुत तेजी से साउथ चाइना सी के अलावा अंडमान सागर में अपने पैर पसार रहा है। इसको देखते हुए भारतीय नौसेना भी सतर्क है।
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