सैकड़ों रूप बदल चुका है कोरोना, वैज्ञानिक अब भी खाली हाथ!
सैकड़ों रूप बदल चुका है कोरोना, वैज्ञानिक अब भी खाली हाथ!corona outbreak in the world: कोरोना वायरस (coronavirus) ने पूरी दुनिया में कोहराम मचा रखा है। दुनियाभर के वैज्ञानिक इस जानलेवा वायरस के बदलते रूप से चकित हैं। इस वायरस के अबतक सैकड़ों प्रकार की चर्चा हुई है। वैज्ञानिक अभी तक किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंच पाए हैं। इस बीच इजरायल ने कोरोना से निपटने के लिए टीके की खोज का दावा किया है।
कोरोना के कई रूपों की हुई पहचान
रिसर्चरों ने हालांकि कोरोना को पैदा करने वाले कई रूपों की तो पहचान कर ली है लेकिन यह पता लगाने में अभी तक सफल नहीं हुए हैं कि आबादी में फैली इस बीमारी का इस खोज का क्या असर होगा। या फिर इसकी वैक्सीन कितनी असरदार होगी।
असल सवाल तो बाकी ही है
रिसर्चर अभी यह ढूंढ पाने में असफल रहे हैं कि इस वायरस का कौन सा रूप कोविड-19 को इतना खतरनाक और संक्रमणकारी बना रहा है।
तो क्या D614G ही सबसे खतरनाक रूप?
अमेरिका में हुई शुरुआती खोज में पता चला है कि कोरोना वायरस का खास रूप D614G सबसे ज्यादा ताकतवर है और यह कोविड-19 को ज्यादा संक्रमणकारी बना रहा है। पर वैज्ञानिकों ने इसका रिव्यू नहीं किया है और न तो यह रिसर्च कहीं छपी है।
कोरोना के कितने रूप? खोज अभी जारी है
अमेरिका के लोस ऐलामोस नैशनल लेबोरेटरी न्यू मैक्सिको में रिसर्चर उस कोरोना के उस खास रूप की खोज में जुटे हुए हैं जो इसे बेहद खतरनाक बना रहा है। रिसर्चर ग्लोबल इनेसिएटिव ऑन शेयरिंग ऑल इन्फ्लुएंजा डेटा (GISAID) का डेटाबेस यूज कर कोरोना की काट खोजने में जुटे हुए हैं।
ब्रिटेन की खोज में मिले कोरोना के 198 रूप
यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन (UCL) की रिसर्च में कोरोना के 198 अलग-अलग प्रकार मिले हैं। रिसर्च में शामिल एक प्रोफेसर फ्रांकोस बैलोक्स ने कहा कि रूप बदलना बुरा नहीं है। कोरोना के बदले रूप से यह पता नहीं चल रहा है SARS-CoV2 उम्मीद से ज्यादा तेज रूप बदल रहा है या कम।
यूनिवर्सिटी ऑफ ग्लासगो का रिसर्च भी जानिए
यूनिवर्सिटी ऑफ ग्लासगो के रिसर्चर भी कोरोना वायरस के बदलते रूप पर खोज कर रहे हैं। रिसर्चरों के अनुसार, कोरोना का केवल एक प्रकार ही अभी संक्रमण फैला रहा है।
आखिर कोरोना के रूपों की क्यों की जा रही है पहचान?
दुनिया के तमाम देश और वैज्ञानिक अलग-अलग रूप बदल रहे कोरोना के उस खास प्रकार की पहचान में जुटे हैं जो सबसे ज्यादा नुकसान कर रहा है। इससे इस वायरस का सटीक वैक्सीन बनाने में मदद मिलेगी।
वैक्सीन की तैयारी में जुटे हैं वैज्ञानिक
दुनियाभर के वैज्ञानिक कोरोना की वैक्सीन बनाने में जुटे हुए हैं। अभी सभी वैज्ञानिकों का केवल एक ऐसे रूप की खोज करना है जो वायरस को बढ़ाने में सबसे ज्यादा मदद कर रहे हैं। इसके पीछे कारण यह है कि शरीर सबसे तेजी से बढ़ने वाले रूप की पहचान कर ले ताकि वायरस का कारगार इलाज हो सके। लेकिन अगर सही रूप की पहचान नहीं हुई तो इसके इलाज के लिए तैयार वैक्सीन असरहीन साबित हो सकता है।
अभी तय करनी होगी लंबी दूरी!
अभी तक सबकुछ सिद्धांतों में उलझा हुआ है। यानी वैज्ञानिकों के पास इस बात की पुख्ता जानकारी नहीं है कि वायरस के जीनोम में बदलाव से क्या असर होगा। दरअसल, जीनोम सीक्वेंसिंग वायरस के डीएनए और आरएनए में मौजूद आनुवांशिक सूचनाओं को जानने और परिभाषित करने में मदद करती है। इसके जरिए किसी संक्रमित व्यक्ति में यह वायरस कहां से आया इसकी जानकारी मिलती है।
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