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अहमदाबाद हिंसा: घिरे पुलिसवालों पर ईंट-पत्थर बरसा रहे थे उपद्रवी, तिरंगा लहराकर 7 मुस्लिम युवकों ने बचाई जान

अहमदाबाद नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ देश के ज्यादातर हिस्सों में हिंसक विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। हिंसा के दौरान कर्नाटक के मेंगलुरु में 2 और लखनऊ में 1 प्रदर्शनकारी की मौत भी हो चुकी है। जगह-जगह पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़पें भी हो रही हैं। अहमदाबाद के शाह-ए-आलम इलाके में उपद्रवियों ने जमकर हिंसा का नंगा नाच किया, जिसमें डीसीपी, एसीपी, कई इंसपेक्टरों समेत 19 पुलिसवाले जख्मी हुए। एक पुलिसवाले को तो उत्पातियों ने अकेला पाकर बेरहमी से पीटा। हालांकि, हिंसक भीड़ में ही कुछ ऐसे युवा दिखे, जिन्होंने पुलिसवालों को उपद्रवियों से बचाया। ईंट और पत्थरों की बरसात के बीच ये युवा पुलिसवालों के ढाल बन गए। खास बात यह है कि ये युवा भी सीएए के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन का हिस्सा थे। अहमदाबाद के शाह-ए-आलम इलाके में गुरुवार को हजारों उग्र प्रदर्शनकारियों की भीड़ तांडव मचा रही थी। बड़े-बड़े ईंट और पत्थरों से पुलिसवालों पर हमला कर रही थी। डीसीपी बिपिन अहिरे, एसीपी राजपाल सिंह राना समेत 19 पुलिसवाले जख्मी हो गए। उपद्रवियों की भीड़ जैसे पुलिसवालों की जान लेने पर आमादा थी। भीड़ से बचने के लिए अपनी बस में चढ़ने की कोशिश कर रहा एक पुलिसकर्मी लड़खड़ा गिर गया तो भीड़ उस पर बेरहमी से टूट पड़ी। इसका विडियो वायरल हुआ है। उसी शाह-ए-आलम इलाके में भीड़ से ही 7 युवक खुद को जोखिम में डालकर पुलिसवालों को बचाने के लिए सामने आए। उनकी बहादुरी का विडियो भी वायरल हुआ है और हर कोई इन '7 हिंदुस्तानियों' को सलाम कर रहा है। इन सबकी शुरुआत तब हुई जब 'गुजरात बंद' के आह्वान पर गुरुवार को हजारों की भीड़ शाह-ए-आलम इलाके में सड़कों पर उतर गई। प्रदर्शनकारी धीरे-धीरे उग्र होते जा रहे थे। पुलिस ने 30 से ज्यादा लोगों को हिरासत में ले लिया। इसके बाद तो भीड़ बेकाबू हो गई। नाराज भीड़ ने पुलिस की गाड़ियों को रोक दिया और पुलिस पर ईंट-पत्थरों से हमला करने लगी। इन सबके बीच 4 पुलिसकर्मी एक कोने में फंस गए। सामने हिंसक भीड़ थी, पीछे और दोनों तरफ दीवार। पुलिसवालों के लिए बचने का कोई रास्ता नहीं था। भीड़ की तरफ से उनपर ईंट-पत्थरों की बरसात हो रही थी। एक पुलिसकर्मी तो प्लास्टिक की कुर्सी से खुद को बचा रहा था। कुर्सी में छेद भी हो गई। अचानक एक युवक इन चारों पुलिसकर्मियों के लिए फरिश्ते की तरह प्रकट होता है। भीड़ से निकलकर वह युवा पुलिसवालों के पास पहुंच जाता है। हाथ लहराकर वह भीड़ से पत्थरबाजी रोकने को कहता है। तब भी पत्थर चल रहे होते हैं। पत्थरबाजी के बीच ही 6 और युवा पुलिसवालों की ढाल बनकर खड़े हो जाते हैं। एक युवा एक बेंच के जरिए पुलिसवालों को बचा रहा है। एक दूसरे युवा के हाथ में तिरंगा दिख रहा है और वह भीड़ को रुकने के लिए बार-बार कह रहा है। आखिरकार मानवता की जीत होती है और ये '7 हिंदुस्तानी' पुलिसवालों को सुरक्षित भीड़ के चंगुल से बाहर निकालते हैं।

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