राफेल पर रिव्यू पिटिशन खारिज, सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'फिर से जांच की कोई जरूरत नहीं', सर्वोच्च अदालत ने कहा, 'संदेह की गुंजाइश नहीं',राफेल खरीद पर सरकार को क्लीनचिट
नई दिल्ली, 14 नवंबर 2019,
सुप्रीम कोर्ट से राफेल विमान सौदे में मोदी सरकार को बड़ी राहत मिली है. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई वाली बेंच ने राफेल मामले में दायर की गईं सभी पुनर्विचार याचिकाओं को खारिज कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर फैसला पढ़ते हुए याचिकाकर्ताओं के द्वारा सौदे की प्रक्रिया में गड़बड़ी की दलीलें खारिज की हैं.
केंद्र सरकार को बड़ी राहत देते हुए चीफ जस्टिस की अगुआई वाली बेंच ने सरकार को क्लीन चिट दी। संविधान पीठ ने कहा कि मामले की अलग से जांच करने की कोई आवश्वयकता नहीं है। सर्वोच्च अदालत ने केंद्र सरकार की दलीलों को तर्कसंगत और पर्याप्त बताते हुए माना कि केस के मेरिट को देखते हुए फिर से जांच के आदेश देने की जरूरत नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें ऐसा नहीं लगता है कि इस मामले में कोई FIR दर्ज होनी चाहिए या फिर किसी तरह की जांच की जानी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम इस बात को नज़रअंदाज नहीं कर सकते हैं कि अभी इस मामले में एक कॉन्ट्रैक्ट चल रहा है. इसके साथ ही सर्वोच्च अदालत ने केंद्र सरकार द्वारा हलफनामे में हुई भूल को स्वीकार किया है.
राफेल विमान डील मामले में शीर्ष अदालत के 2018 के आदेश पर वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण समेत अन्य लोगों की ओर से पुनर्विचार के लिए याचिका दाखिल की गई थी. इस मामले में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस केएम जोसेफ की पीठ ने फैसला सुनाया है.
सर्वोच्च अदालत ने कहा, 'संदेह की गुंजाइश नहीं'
14 दिसंबर 2018 को राफेल खरीद प्रक्रिया और इंडियन ऑफसेट पार्टनर के चुनाव में सरकार द्वारा भारतीय कंपनी को फेवर किए जाने के आरोपों की जांच की गुहार लगाने वाली तमाम याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि फैसले लेने की प्रक्रिया में कहीं भी कोई संदेह की गुंजाइश नहीं है।
सुनवाई पूरी होने के बाद 10 मई को कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था
सुप्रीम कोर्ट ने 10 मई को राफेल मामले में दाखिल रिव्यू पिटिशन पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता प्रशांत भूषण, पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी व अन्य की ओर से राफेल डील मामले में जांच की मांग की गई। केंद्र सरकार ने का कि राफेल देश की जरूरत है और याचिका खारिज करने की मांग की। अब सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगई की अगुवाई वाली बेंच इस पर फैसला दे दिया है।
पुनर्विचार याचिका में क्या था
कोर्ट में दायर याचिका में डील में भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए थे. साथ ही 'लीक' दस्तावेजों के हवाले से आरोप लगाया गया था कि डील में PMO ने रक्षा मंत्रालय को बगैर भरोसे में लिए अपनी ओर से बातचीत की थी. कोर्ट में विमान डील की कीमत को लेकर भी याचिका डाली गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने अपने पिछले फैसले में कहा था कि बिना ठोस सबूतों के वह रक्षा सौदे में कोई भी दखल नहीं देगा.
याचिकाकर्ताओं की दलील, केंद्र ने छुपाए तथ्य
मामले की सुनवाई के दौरान एक तरफ जहां याचिकाकर्ताओं ने कहा था कि राफेल मामले में सुप्रीम कोर्ट का 14 दिसंबर 2018 का जजमेंट खारिज किया जाए और राफेल डील की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच कराई जाए। प्रशांत भूषण ने इस दौरान कहा कि केंद्र सरकार ने कई फैक्ट सुप्रीम कोर्ट से छुपाया। दस्तावेज दिखाता है कि पीएमओ ने पैरलल बातचीत की थी और यह गलत है। पहली नजर में मामला संज्ञेय अपराध का बनता है और ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के पुराना जजमेंट कहता है कि संज्ञेय अपराध में केस दर्ज होना चाहिए। इस मामले में भी संज्ञेय अपराध हुआ है ऐसे में सुप्रीम कोर्ट को इस मामले में जांच का आदेश देना चाहिए।
जजमेंट गलत तथ्यों पर दिए जाने का तर्क
याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया था, 'जजमेंट गलत तथ्यों पर आधारित है क्योंकि केंद्र सरकार ने सील बंद लिफाफे में गलत तथ्य कोर्ट के सामने पेश किए थे। यहां तक कि सरकार ने खुद ही कोर्ट के सामने जजमेंट के अगले दिन 15 दिसंबर 2018 को अपनी गलती सुधार कर दोबारा आवेदन दाखिल किया था।'
अटॉर्नी जनरल ने काटे याचिकाकर्ताओं की दलील
केंद्र सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि मामले में पहली नजर में कोई संज्ञेय अपराध नहीं हुआ है। साथ ही पीएमओ ने कोई पैररल निगोशियेशन नहीं किया था। मामले में याचिकाकर्ता लीक हुए दस्तावेज (उड़ाए गए) के आधार पर रिव्यू पिटिशन दाखिल कर रखी है और इसे खारिज किया जाना चाहिए।
केंद्र की दलील, कीमत जानना कोर्ट की प्राथमिकता नहीं
केंद्र सरकार की ओर से पक्ष रखते हुए अटॉर्नी जनरल ने कहा, 'सुप्रीम कोर्ट ने कभी कीमत नहीं जानना चाहा है। सुप्रीम कोर्ट ने सिर्फ प्रक्रिया के बारे में जानना चाहा है। हमने कोर्ट के सामने प्रक्रिया बताई थी। सीएजी की रिपोर्ट के बारे में जो बयान केंद्र सरकार ने दिया था उसे ठीक करने के लिए अगले दिन अर्जी दाखिल कर दी थी जो पेंडिंग है। इस प्रक्रिया में अगर कोई गलती हुई तो भी इस आधार पर रिव्यू नहीं हो सकता।'
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