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सरकारी स्कूलों में रिक्तियों, अवसंरचना की कमी संबंधी याचिका पर अदालत ने पूछा दिल्ली सरकार का रुख

नयी दिल्ली,दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को उस जनहित याचिका पर दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है जिसमें यहां के सरकारी स्कूलों में बुनियादी ढांचे की कमी को रेखांकित करते हुए प्रधानाचार्यों, शिक्षकों और अन्य कर्मियों की नियुक्ति के लिये निर्देश देने की मांग की गई है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी की अध्यक्षता वाली पीठ ने श्री सालेक चंद जैन की याचिका पर नोटिस जारी किया और शहर की सरकार को एक हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया जिसमें मौजूदा रिक्तियों की वर्तमान स्थिति के साथ-साथ उन्हें भरने के लिए उठाए गए कदमों और उन्हें भरने की समय-सीमा बताने को कहा गया है। पीठ में न्यायमूर्ति सचिन दत्ता भी शामिल हैं। पीठ ने सरकार से यह बताने के लिये कहा है कि उसके विद्यालयों में बुनियादी ढांचे की क्या कमी है और वह इससे निपटने के लिए क्या तैयारी कर रही है। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि “दिल्ली सरकार द्वारा संचालित 1027 सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के 45,503 पद खाली पड़े हैं” और उनमें से कई में बहतरीन उपकरणों वाली कंप्यूटर लैब, विज्ञान प्रयोगशाला, पुस्तकालय आदि नहीं हैं। वकील जे के गुप्ता के माध्यम से दायर याचिका में तर्क दिया गया कि शिक्षकों की कमी के कारण छात्र गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त नहीं कर सकते और न ही अन्य छात्रों के साथ प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं और दिल्ली सरकार ने अपने विद्यालयों में अत्याधुनिक बुनियादी ढांचा प्रदान करने के लिए कुछ नहीं किया है। इस मामले में अगली सुनवाई नौ नवंबर को होगी।

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