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किसान आंदोलन: क्या 2 कदम पीछे हटी सरकार? अब पराली जलाना जुर्म नहीं, बिजली बिल भी वापस

नई दिल्ली कृषि कानूनों को लेकर सरकार और किसान संगठनों के बीच मंगलवार को हुई बातचीत से अच्छी खबर निकलकर सामने आई। किसानों के पेश किए गए चार प्रमुख मांगों में से दो पर सरकार ने अपनी सहमति दे दी। इस बैठक में बिजली के बिल का मामला सुलझ गया जबकि पराली जलाने से संबंधित कानूनी प्रावधानों को हटाने पर भी सरकार राजी हो गई है। लेकिन, नए कानूनों को निरस्त करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को कानूनी दायरे में लाने की उनकी मुख्य मांग पर कुछ फैसला नहीं हो सका। अगले साल ही निकलेगा किसान आंदोलन का समाधान सरकार के प्रतिनिधियों और किसान संगठनों के नेताओं के बीच पांच घंटे से अधिक समय तक चली छठे दौर की वार्ता में आज बर्फ तो पिघलती नजर आई लेकिन गतिरोध बरकरार रहा। अब चार जनवरी को फिर से सरकार और किसान संगठनों के बीच मुख्य मांगों पर चर्चा होगी। बहरहाल, यह तय हो गया कि इन विवादास्पद कानूनों पर आंदोलनरत किसानों की समस्याओं का समाधान अगले साल ही हो सकेगा। कानूनों को निरस्त करने को तैयार नहीं सरकार केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने वार्ता के बाद संवाददाताओं को संबोधित करते हुए दावा किया कि जिन चार मुद्दों पर आज चर्चा हुई उनमें से दो पर आज सहमति बन गई। उनके मुताबिक, सरकार और किसान संगठनों के बीच हुई छठे दौर की वार्ता में बिजली संशोधन विधेयक 2020 और एनसीआर एवं इससे सटे इलाकों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के संबंध में जारी अध्यादेश संबंधी आशंकाओं को दूर करने को लेकर सहमति बन गई। हालांकि तोमर ने यह भी स्पष्ट किया कि तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की किसान संगठनों की मांग एवं न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी देने के मुद्दे पर कोई सहमति नहीं बन सकी। चार जनवरी को किसानों के साथ फिर बैठक उन्होंने कहा कि इन मुद्दों पर चार जनवरी को फिर चर्चा होगी। तोमर ने उम्मीद जताई कि नया साल नये समाधान लेकर आएगा। उन्होंने फिर से दोहराया कि मोदी सरकार किसानों के मुद्दों पर संवेदनशील है। उन्होंने संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा कि किसान संगठनों के साथ वार्ता ‘‘सौहार्द्रपूर्ण वातावरण’’ में संपन्न हुई। उन्होंने कहा कि आज की बैठक में किसान यूनियन के नेताओं ने जो चार विषय चर्चा के लिए रखे थे, उनमें दो विषयों पर आपसी रजामंदी, सरकार और यूनियन के बीच में हो गई है। पहला पराली जलाने से संबंधित कानून है। इस मुद्दे पर दोनों पक्षों में रजामंदी हो गई है। सरकार बोली- 50 फीसदी मांगों पर बनी सहमति कृषि मंत्री ने कहा कि बिजली संशोधन विधेयक, जो अभी अस्तित्व में नहीं आया है, उसको लेकर किसानों को आशंका है कि इससे उन्हें नुकसान होगा। उन्होंने कहाकि इस मांग पर भी दोनों पक्षों के बीच सहमति हो गई है। यानी 50 प्रतिशत मुद्दों पर सहमति हो गई है। तोमर, रेलवे, वाणिज्य और खाद्य मंत्री पीयूष गोयल तथा वाणिज्य राज्य मंत्री सोमप्रकाश ने यहां विज्ञान भवन में 41 किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ वार्ता की। हालांकि बाद में जारी एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि कृषि मंत्री ने किसान संगठनों के प्रतिनिधियों को आश्वासन दिया कि एमएसपी पर कृषि उपज की खरीद तथा मंडी प्रणाली पूर्व की तरह जारी रहेगी और सरकार एमएसपी को लेकर एक समिति का गठन करने को तैयार है। एमएसपी पर सरकार समिति गठन को तैयार बयान में कहा गया है कि किसान संगठनों के एमएसपी पर कानून बनाने के प्रस्ताव पर कृषि मंत्री ने कहा कि कृषि उपज की एमएसपी तथा उनके बाजार भाव के अंतर के समाधान हेतु समिति का गठन किया जा सकता है। बयान के मुताबिक किसान संगठनों के प्रतिनिधियों द्वारा तीनों कानून वापस लेने से संबंधित सुझाव के संबंध में कृषि मंत्री ने कहा कि इस पर कमेटी का गठन करके किसान के हितों को ध् यान में रखते हुए विकल्पों के आधार पर विचार किया सकता है। जिससे संविधानात्मक मर्यादा का पालन करने के लिए सरकार अपनी भूमिका का निर्वहन कर सके। एमएसपी को लेकर किसान संगठन सख्त पंजाब किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष रुल्दू सिंह मनसा ने कहा कि सरकार एमएसपी खरीद पर कानूनी समर्थन देने को तैयार नहीं है और इसकी जगह उसने एमएसपी के उचित क्रियान्वयन पर समिति गठित करने की पेशकश की है। उन्होंने कहा कि सरकार ने विद्युत संशोधन विधेयक को वापस लेने और पराली जलाने पर किसानों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई के प्रावधान को हटाने के लिए अध्यादेश में संशोधन करने की पेशकश की है। भाकियू के राकेश टिकैत ने यह कहा भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने भी कहा कि सरकार प्रस्तावित विद्युत संशोधन विधेयक और पराली जलाने से होने वाले वायु प्रदूषण से संबंधित अध्यादेश को क्रियान्वित न करने पर सहमत हुई है। तोमर ने किसान प्रतिनिधियों से अनुरोध किया कि उनकी परेशानियों को ध्यान में रखते हुए सरकार किसानों के मुद्दे पर समाधान करने हेतु हर संभव प्रयास करने के लिए तत्पर है। साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार प्रतिनिधियों के साथ खुले मन से चर्चा करके समाधान के लिए हर संभव प्रयासरत है। उन्होंने कहा कि दोनों तरफ से कदम आगे बढ़ाने की जरूरत है। सरकार सभी सकारात्मक विकल्पों को ध्यान में रखते हुए कानूनी राय के साथ विचार करने के लिए तैयार है। कानून रद्द करने के अलावा अन्य विकल्प मांग रही सरकार कृषि मंत्री ने किसान संगठनों से अनुरोध किया गया कि कृषि सुधार कानूनों के संबंध में अपनी मांग के अन्य विकल्प दें, जिस पर सरकार विचार कर सकेगी। केंद्र ने सितंबर में लागू तीनों नए कृषि कानूनों पर गतिरोध दूर करने के लिए खुले मन से तार्किक समाधान तक पहुंचने के लिए किसान यूनियनों को 30 दिसंबर को वार्ता के लिए आमंत्रित किया था।

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