रात के वक्त कभी नहीं खानी चाहिए ये दालें

दाल खाना हमारी सेहत के लिए बहुत अधिक लाभकारी होता है लेकिन अगर इन्हें दिन के समय में और मौसम का ध्यान रखकर खाया जाए। अगर आप सिर्फ प्रोटीन पाने की चाहत में कोई-सी भी दाल कभी भी बनाकर खा लेते हैं तो आपको अपनी लाइफ में हो रही दिक्कतों की वजह यहां पता चल जाएगी... इस दाल को कभी भी खा सकते हैं - मूंग और मसूर की मिक्स दाल एक ऐसी दाल होती है, जिसे आप 24 घंटे में कभी भी खा सकते हैं क्योंकि यह पचने में आसान होती है। -मूंग दाल की तासीर ठंडी और मसूर दाल की तासीर गर्म होती है। जब इन दोनों को मिलाकर तैयार किया जाता है तो महादिल (किसी भी समय खाई जा सकनेवाली) की तरह पौष्टिक हो जाती हैं। उड़द की दाल खा सकते हैं रात को -उड़द की छिलके सहित दाल आप रात के समय भोजन में ले सकते हैं। साथ ही खास बात यह है कि इसे पूरे साल किसी भी मौसम में रात को बनाकर खाया जा सकता है। -मूंग-मसूर की मिक्स दाल की तरह ही इसे रात को खाने से ना तो गैस की समस्या होती है ना ही पेट दर्द और अपच की शिकायत। एक-एक दाल का असर मूंग की छिलके सहित दाल गर्मी और बरसात में रात को आराम से खाई जा सकती है। यह तासीर में शीतल होती है और शरीर को ठंडक देने का काम करती है। -मसूर की दाल अगर अकेले बनाकर खानी हो तो आप इसे केवल सर्दियों में ही रात को बनाकर खाएं। क्योंकि मसूर की दाल बहुत अधिक गर्म होती है। जगह-जगह का असर -जिन दालों के बारे में हमने ऊपर बात की है, उन्हें तो कभी भी कहीं भी बनाकर खाया जा सकता है। यानी आप बस नियम का ध्यान रखें और बनाकर खाएं। लेकिन कुछ दालें ऐसी होती हैं, जिन्हें खाने से पहले स्थान का ध्यान रखना होता है। -उदाहरण के लिए, गर्मी के मौसम में रात के समय पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अरहर की दाल खाने का चलन नहीं है। क्योंकि यह रात को अपच की समस्या कर सकती है। -लेकिन पूर्वी उत्तर प्रदेश में अरहर की दाल रात के समय बहुत चाव से खाई जाती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि हमारे खान-पान और क्षेत्र की जलवायु का हमारे शरीर पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है। उम्र का भी है संबंध -आपको जानकर हैरानी हो सकती है लेकिन उड़द, छोले, साबुत मसूर, साबुत मूंग और राजमा जैसे साबुत अनाज अगर 50 साल से कम उम्र के लोग रात को खाते हैं तो उन्हें बहुत गहरी नींद आने की संभावना होती है। -जबकि यही दालें अगर 50 साल से अधिक उम्र के व्यक्ति रात को खाएं तो उनकी पूरी रात जागते-जागते गुजर सकती है। इन्हें तो किसी भी सूरत में रात को ना खाएं उड़द, छोले, साबुत मसूर, साबुत मूंग और राजमा किसी भी मौसम में और किसी भी क्षेत्र में रात के वक्त खाने से बचना चाहिए। क्योंकि रात में इनका पाचन सही प्रकार से नहीं हो पाता है। इसके चलते कई तरह की शारीरिक समस्याएं हो सकती हैं। - जैसे पेट में भारीपन होना, गैस बनना, नींद पूरी ना होना, सुबह पेट ठीक से साफ ना होना, पेट दर्द हो जाना या अगले दिन बहुत अधिक आलस आना। आयुर्वेद कहता है फरवरी-मार्च में नहीं खानी चाहिए ये दालें Know Your Food: आयुर्वेद कहता है फरवरी-मार्च में नहीं खानी चाहिए ये दालेंआयुर्वेद के अनुसार हमें अपने खाने-पीने का ध्यान मौसम के अनुरूप रखना चाहिए। लेकिन आज की जनरेशन के साथ सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि हमें पता ही नहीं कि किस फूड का नेचर कैसा होता है यानी तासीर में कौन-सी खाद्य वस्तु ठंडी है और कौन-सी गर्म होती है। यहां दालों के गुण और उनकी प्रकृति के बारे में जानें। फरवरी-मार्च ना गर्मी है ना सर्दी आयुर्वेदाचार्य सुरेंद्र सिंह का कहना है कि फरवरी लास्ट और मार्च का समय ऐसा होता है, जब ना बहुत अधिक सर्दी होती है और ना ही बहुत अधिक गर्मी। इस मौसम को शीतोष्ण कहा जाता है। ऐसे मौसम में हमें अपने खान-पान में इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि ना तो हम एकदम गर्म तासीर की चीजें खाएं और ना ही ठंडी तासीर की। कौन-सी दाल खाना है बेहतर? आयुर्वेद के अनुसार, इस मौसम में मिश्रित दालों को खाना चाहिए, जिन्हें मिक्स दाल कहा जाता है। जैसे आप अरहर की दाल में मसूर की दाल मिलाकर इस मौसम में खाएंगे तो यह आपको बदलते मौसम की बीमारियों से भी बचाएगी। मूंग और मसूर की दाल मूंग की दाल तासीर में बहुत ठंडी होती है और मसूर की दाल गर्म होती है। ऐसे में फरवरी और मार्च के महीने में इन दोनों दालों को बराबर मात्रा में मिलाकर खाना चाहिए। इससे शरीर को मौसम के हिसाब से तापमान नियंत्रित रखने में मदद मिलती है। पेट रहता है साफ मूंग दाल का प्रभाव बड़ी आंत पर अधिक होता है। यह पेट की गर्मी से होनेवाले रोगों में फायदेमंद है। सर्दी के मौसम में हम गर्म तासीर की चीजें अधिक खाते हैं ऐसे में कई बार कॉन्स्टिपेशन की समस्या हो जाती है। यह दाल खाने में उपयोग करने पर डायजेशन ठीक रहता है। पेट को सेहतमंद रखने में मदद मिलती है। स्किन और बालों की ड्राईनेस रोके मूंग मसूर की दाल मिलाकर खाने पर यह बॉडी में बढ़ती ड्राइनेस को कंट्रोल करने में मदद करती है। जाती हुई सर्दी में जो ठंडी हवाएं चलती हैं, उनसे बालों में भी अधिक रुखापन होने लगता है। अगर आप नियमित रूप से मूंग और मसूर की दाल बराबर मात्रा में लेकर बनाएंगे और सेवन करेंगे तो आपको रुखेपन की इस समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा। दिमाग में क्लियर कर लें यह बात कुछ लोगों को यह जानकर हैरानी हो सकती है लेकिन यह एक नैचरल ट्रुथ है कि साबुत मसूर तासीर में ठंडी होती है लेकिन इसकी दाल तासीर में गर्म होती है। जबकि साबुत मूंग तासीर में गर्म होती है और छिलके सहित उसकी दाल तासीर में ठंडी होती है। शोध का विषय है साबुत मसूर और साबुत मूंग को पीसकर दाल बनाने पर इनकी प्रकृति में इतना बदलाव क्यों आ जाता है कि तासीर में गर्म मूंग की दाल ठंडी और ठंडी मसूर की दाल तासीर में गर्म हो जाती है। यह एक शोध का विषय है। महादिल होती है चने की दाल चना और चने की दाल अपनी खूबियों के कारण एकदम अनूठे होते हैं। चना और चने की दाल की प्रकृति महादिल बताई गई है। यानी ऐसे खाद्य पदार्थ जिन्हें किसी भी मौसम में खाया जा सकता है। बस इन्हें रात में खाने से बचना चाहिए। ठंडी प्रकृति की होती हैं ये दालें -अरहर की दाल -मूंग दाल छिलकेवाली -उड़द की धुली दाल -साबुत मसूर -राजमा (हालांकि होली के बाद उड़द में मिलाकर राजमा खा सकते हैं) गर्म प्रकृति वाली दालें -उड़द (लेकिन इस मौसम में इन्हें खालिस खा सकते हैं, राजमें के साथ नहीं) - खालिस मसूर की दाल -उड़द की छिलकेवाली दाल -लोबिया -साबुत मूंग

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