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बच्‍चों में इससे नीचे गिरा ऑक्‍सीजन का लेवल तो आ जाएगी हॉस्पिटल जाने की नौबत, जानिए क्‍या है नॉर्मल रेंज

इस समय की बात की जाए तो कोरोना वायरस के कारण लोगों को सांस लेने में दिक्‍कत हो रही है, जिसकी प्रमुख वजह ऑक्‍सीजन लेवल का कम होना है। वयस्‍कों और वृद्धों के लिए नॉर्मल ऑक्‍सीजन लेवल कितना होना चाहिए, इस बारे में तो सभी बात कर रहे हैं लेकिन क्‍या कोई ये जानता है कि बच्‍चों के लिए ऑक्‍सीजन लेवल कितना होना चाहिए और बच्‍चों में लो या हाई ऑक्‍सीजन लेवल कितना होना चाहिए। ​सांस लेने के लिए क्‍यों जरूरी है ऑक्‍सीजन लेवल सभी तरह की जैविक क्रियाओं के लिए एनर्जी बनाने के लिए हमारे शरीर को ऑक्‍सीजन की जरूरत पड़ती है। इस प्रक्रिया में कार्बन डाइऑक्‍साइड विषाक्‍त पदार्थ के रूप में शरीर से निकल जाती है। इसके लिए श्‍वसन तंत्र वातावरण से हवा लेकर फेफड़ों तक पहुंचाता है और फिर ऑक्‍सीजन गैस को दोनों फेफड़ों और कोशिकाओं के अंदर डालता है। हमारे फेफड़ें बाहरी हवा से ऑक्‍सीजन लेकर खून और कार्डियोवस्‍कुलर सिस्‍टम के जरिए कोशिकाओं तक पहुंचाते हैं जिससे एनर्जी बनती है। जब हम सांस लेते हैं तो ऑक्‍सीजन फेफड़ों में पहुंचता है और खून में मिल जाता है। इस तरह ऑक्‍सीजन सांस लेने की प्रक्रिया के लिए जरूरी होती है। ​बच्‍चों के लिए ऑक्‍सीजन का लो लेवल कुछ बच्‍चों को सांस लेने में दिक्‍कत आती है और खाने, रोने और खेलने से सांस लेने की प्रक्रिया और मुश्किल हो सकती है। बच्‍चों को कुछ सेकंड या मिनट के लिए ऑक्‍सीजन की कमी होने से कोई नुकसान नहीं होता है। लेकिन लो ब्‍लड ऑक्‍सीजन लेवल के बने रहने जैसे कि ऑक्‍सीजन लेवल के 88 पर्सेंट से भी नीचे जाने पर शरीर को नुकसान पहुंच सकता है। शरीर में ऑक्‍सीजन को बनाए रखने के लिए हार्ट को ज्‍यादा मेहनत करनी पड़ती है जिससे उसका साइज सामान्‍य से ज्‍यादा हो सकता है। ​कितना होना चाहिए ऑक्‍सीजन लेवल ऑक्‍सीजन शरीर के लिए एक दवा है। यदि ऑक्‍सीजन लेवल 92 पर्सेंट से ज्‍यादा हो तो इसका मतलब है कि शरीर को अपनी जरूरत के हिसाब से पर्याप्‍त ऑक्‍सीजन मिल पा रहा है। पल्‍मोनरी हाइपरटेंशन से ग्रस्‍त बच्‍चों में 95 पर्सेंट या इससे ज्‍यादा ब्‍लड ऑक्‍सीजन लेवल होना चाहिए। ​बच्‍चों में SpO2 का लेवल 7 से 9 साल की उम्र के बच्‍चों में SpO2 वैल्‍यू 89 पर्सेंट और 90 पर्सेंट के बीच होना चाहिए। अलग-अलग उम्र के बच्‍चों में इसकी वैल्‍यू 90 और 91 पर्सेंट हो सकती है। बीएमसी पीडियाट्रिक्‍स में प्रकाशित एक अध्‍ययन में 1,378 स्‍वस्‍थ बच्‍चों को शामिल किया गया था। इनमें 719 लड़के थे। सभी की SpO2 वैल्‍यू 94.5 पर्सेंट थी और उम्र एवं लिंग के आधार पर कोई भिन्‍नता नहीं देखी गई। नॉर्मल SpO2 वैल्‍यू 90 पर्सेंट है और 5 साल से कम उम्र के बच्‍चों के लिए 91 पर्सेंट और 7 साल से अधिक उम्र के बच्‍चों के लिए 90 पर्सेंट SpO2 वैल्‍यू है। डॉक्‍टर की राय वसंत कुंज स्थिज फोर्टिस अस्‍पताल के सीनियर कंसल्‍टेंट पीडियाट्रिशियन डॉक्‍टर पवन कुमार का कहना है कि स्‍वस्‍थ बच्‍चे का ऑक्‍सीजन लेवल वयस्‍कों की ही तरह 98, 99 और 100 के बीच में होना चाहिए। लेकिन अगर कोरोना ने बच्‍चे के फेफड़ों को प्रभावित कर दिया है, तो इस स्थिति में बच्‍चे को सांस लेने में दिक्‍कत हो सकती है। फेफड़ों के प्रभावित होने पर निमोनिया हो सकता है। इसमें डॉक्‍टर कोविड निमोनिया का ही इलाज देते हैं जैसे नेबुलाइजर आदि। यदि बच्‍चे का ऑक्‍सीजन लेवल 81 या 82 तक पहुंच गया है तो यह चिंता की बात है लेकिन कोरोना के आम लक्षणों में ऑक्‍सीजन लेवल कम होना शामिल नहीं है। जब तक कि फेफड़े इस इंफेक्‍शन से प्रभावित नहीं होंगे, तब तक बच्‍चे को सांस लेने या सोने में दिक्‍कत नहीं आएगी और उसका ऑक्‍सीजन सैचुरलेशन लेवल भी कम नहीं होगा।

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