विधानसभा उपचुनाव: मायावती की अगुआई में बीएसपी की अहम बैठक, तय वक्त से पहले ही पहुंचे नेता

लखनऊ लोकसभा चुनाव रिजल्ट के बाद यूपी की राजनीति नई करवट लेती दिख रही है। मनमाफिक नतीजे नहीं आने के बाद एसपी और बीएसपी के बीच पहले वाली सियासी गर्मजोशी नहीं दिख रही है। दोनों दलों के चीफ ने तो ऐलान भी कर दिया है कि वे यूपी में 13 विधानसभा सीटों पर होने वाले विधानसभा उपचुनाव अलग-अलग लड़ेंगे। इसी कड़ी में उपचुनाव की तैयारियों को लेकर बीएसपी चीफ मायावती के नेतृत्व में यूपी की राजधानी लखनऊ में पार्टी नेताओं की अहम बैठक चल रही है। इस बैठक में सभी जिला के को-ऑर्डिनेटर और अन्य पदाधिकारी मौजूद हैं। बताया जा रहा है कि उपचुनाव को लेकर बैठक के बाद मायावती पार्टी पदाधिकारियों के साथ बैठकर लोकसभा चुनाव में हार की समीक्षा भी करेंगी। लोकसभा चुनाव के बाद मायावती की निगाहें अब विधानसभा उपचुनाव पर हैं। यह पहली बार होगा कि बीएसपी उपचुनाव लड़ने जा रही है। लिहाजा, इसकी तैयारियां भी काफी जोर से हो रही हैं। जमा कराए गए मोबाइल मायावती की मीटिंग में पहुंचे नेताओं से मीटिंग हॉल में जाने से पहले मोबाइल जमा कराए गए। इतना ही नहीं उनके बैग, कार की चाबी और यहां तक की पेन भी बाहर ही जमा कराए गए। उपचुनाव की तैयारी पर फीडबैक 18 जून को लखनऊ पहुंचने के बाद ही मायावती ने फोन पर पदाधिकारियों से बात कर उपचुनाव के संबंध में बात कर प्रत्याशियों के बारे में जायजा लिया था। इस बैठक में जिला को-ऑर्डिनेटरों से विधानसभा उपचुनाव के लिए प्रत्याशियों के बारे में राय और विधानसभा उपचुनाव जीतने की रणनीति पर चर्चा होने की उम्मीद है। कहा जा रहा है कि उपचुनाव की तैयारी को लेकर मायावती बैठक में नेताओं से फीडबैक लेंगी। इसके साथ ही रैलियों और स्टार प्रचारकों की लिस्ट पर भी बात होगी। सुबह दस बजे से बैठक का समय प्रस्तावित था, लेकिन नौ बजे से ही पार्टी के सारे नेता बैठक स्थल पर पहुंच गए। नतीजे तय करेंगे ताकत विधानसभा उपचुनाव मायावती के लिए बेहद अहम हैं। लोकसभा चुनाव बीएसपी ने समाजवादी पार्टी के साथ मिलकर लड़ा और पार्टी के हिस्से में 10 सीटें आईं। 2014 के लोकसभा चुनाव में बीएसपी को एक भी सीट नहीं मिली थी। ऐसे में इस चुनाव के नतीजे को अकेले मायावती के जनाधार से जोड़कर नहीं देखा जा रहा है। लोग मान रहे हैं कि बीएसपी अकेले चुनाव लड़तीं तो उन्हें दस सीटें नहीं मिलतीं। अब जबकि पार्टी एसपी से अलग होकर उपचुनाव लड़ रही है, तो नतीजों को सीधे तौर पर मायावती के राजनीतिक वजूद से जोड़कर देखा जाएगा। 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 325 सीटें मिली थीं। जिन 12 सीटों पर उपचुनाव होने हैं, उनमें 9 से बीजेपी के विधायक सांसद बने हैं। एसपी और बीएसपी के एक-एक विधायक भी सांसद बने हैं, जबकि हमीरपुर की सीट अशोक सिंह चंदेल को सजा होने के बाद खाली हुई है। संगठन में बदलाव के भी आसार माना जा रहा है कि इस बैठक के बाद यूपी के साथ अन्य प्रदेशों के संगठन में भी बड़े पैमाने पर बदलाव हो सकता है। सूत्र बताते हैं कि कई राज्यों के प्रभारियों के दायित्वों में बदलाव हो सकता है। सुस्त प्रदेश अध्यक्षों को हटाकर उनकी जगह दूसरों को मौका दिया जा सकता है। कुछ के प्रमोशन की भी गुंजाइश देखी जा रही है। इन 13 सीटों पर होने हैं उपचुनाव यूपी में 13 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव प्रस्तावित हैं। इनमें पांच सीटें वेस्ट यूपी की हैं। इन 13 में से 11 सीटें बीजेपी के पास थीं। वेस्ट यूपी की गंगोह (सहारनपुर), इगलास (अलीगढ़), रामपुर, टूंडला, चार विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जो विधायकों के एमपी बनने से खाली हुई हैं। उधर, मीरापुर (मुजफ्फरनगर) के बीजेपी विधायक अवतार सिंह भड़ाना त्यागपत्र देकर कांग्रेस में शामिल होने से यह सीट खाली हुई है। इसके अलावा गोविंदनगर (कानपुर), कैंट (लखनऊ), जैदपुर (बाराबंकी), मानिकपुर (चित्रकूट), बलहा (बहराइच), प्रतापगढ़, जलालपुर (आंबेडकरनगर) और हमीरपुर सीटों के लिए चुनाव होना हैं। हमीरपुर सीट से बीजेपी विधायक अशोक सिंह चंदेल को कोर्ट ने हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई, जिसके बाद उनकी सदस्यता खत्म कर दी गई थी। इस सीट पर भी उपचुनाव होना है।

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