कोरोना: रेलवे ने 4 राज्यों को दिए 204 कोच, दिल्ली में 54 तैनात

नई दिल्ली, 15 जून 2020,कोरोना के लगातार बढ़ते मामले के बीच रेलवे ने 4 राज्यों में बेड की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए 204 कोचों की तैनाती की है. साथ ही अगर जरूरत पड़ी तो रेलवे बिस्तर की उपलब्धता बढ़ाने के लिए 5000 कोचों को अपने खर्च पर तैयार करेगा. रेलवे द्वारा अस्पतालों पर बोझ कम करने के लिए रेलवे के सैकड़ों कोचों को आइसोलेशन शेल्टर के रूप में बनाए जाने के महीनों बाद, राज्यों ने आखिरकार इस सुविधा का लाभ उठाना शुरू कर दिया है. जबकि 4 राज्यों द्वारा उपयोग के लिए 204 कोच पहले ही भेजे जा चुके हैं. रेलवे कम समय में करीब 5,000 कोच देने के लिए तैयार है. बेड की कमी दूर करने की कोशिश में रेलवे अब दिल्ली में तेजी से बढ़ते कोरोना संक्रमण के केस पर चिंता जताए जाने के बाद, भविष्य में बढ़ते मामले और बेड की कमी को देखते हुए रेलवे पहले ही राष्ट्रीय राजधानी में 54 कोचों की तैनाती कर चुका है. इस बीच अपनी तैयारियों को बेहतर बनाने के लिए उत्तर प्रदेश ने सबसे ज्यादा 70 रेल कोचों को तैनात किया है. जबकि तेलंगाना में 60 पहले से ही चालू हैं. आंध्र प्रदेश में 20 कोच तैनात किए गए हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कोरोना से जुड़े मामलों में राज्य और जिला स्तर पर बेड की उपलब्धता का जायजा लेने के लिए गृह मंत्री और स्वास्थ्य मंत्री समेत कई शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठक की थी. गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली में स्थिति को संभालने के लिए एक के बाद एक 2 बैठकें की जिसमें यह निर्णय लिया गया कि दिल्ली में बेड की उपलब्धता बढ़ाने को लेकर रेलवे 500 कोचों की तैनाती करेगा. रेलवे के सूत्रों ने बताया कि 54 रेल कोचों को पहले ही शकूरबस्ती रेलवे स्टेशन पर तैनात किया जा चुका है और दिल्ली के लिए यह आंकड़ा बढ़कर 500 हो जाएगा. एक कोच के निर्माण पर 67 हजार खर्चा रेलवे इस रूपांतरण का खर्च खुद वहन करेगा. यदि 5000 कोचों को तैनात किया जाता है, तो रेलवे को 5000 कोचों को बदलने के लिए लगभग 35 करोड़ रुपये खर्च करने होंगे. प्रत्येक कोच को परिवर्तित करने की लागत 67,000 रुपये तक होती है और कुल 5000 कोचों को तैयार किया जा सकता है. रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि लागत का 50 फीसदी श्रम है जो रेलवे के पास वर्तमान में अधिक है. उपयोग की जाने वाली बाकी सामग्री का इस्तेमाल फिर से किया जा सकता है. रेलवे ने लॉकडाउन के पहले चरण में 5,000 कोच बदलने की पेशकश की थी. इसके लिए रेलवे ने सभी जोनल प्रमुखों को परिवर्तित कोचों को राज्य सरकार के लिए जारी करने का अधिकार दे दिया था, लेकिन करीब 90 दिनों तक कोई भी राज्य आगे नहीं आया. फिर रेलवे को इन परिवर्तित कोचों को देशभर में फंसे प्रवासी लोगों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने में इस्तेमाल करना पड़ा.

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