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राहुल गांधी ने राजीव बजाज से समझा लॉकडाउन, BJP बोली- वह कोई विशेषज्ञ हैं क्या?

नई दिल्ली दो महीने से ज्यादा के लॉकडाउन (Lockdown) के बाद अब सरकार धीरे-धीरे गतिविधियां शुरू करने की अनुमति दे रही है। 8 जून से देश में धार्मिक स्थान भी खुलने वाले हैं। एक तरफ विपक्ष इस लॉकडाउन पर सवाल उठाने लगा है तो बीजेपी का कहना है कि लॉकडाउन से कोविड (Covid 19) से होने वाली मौतों को नियंत्रित करने में कामयाबी मिली है। बीजेपी ने कहा कि राजीव बजाज की इस संबंध में कही गई बात का कोई औचित्य नहीं है क्योंकि वह स्वास्थ्य विशेषज्ञ नहीं हैं। बीजेपी ने कहा कि केंद्र सरकार ने लॉकडाउन लागू किया ताकि कोविड-19 के कारण बड़ी संख्या में लोगों की मौत की संभावना को रोका जा सके और साथ ही इस अवधि में महामारी से निपटने के लिये स्वास्थ आधारभूत ढांचे का निर्माण किया जा सके। बीजेपी ने उद्योगपति राजीव बजाज की उन टिप्पणियों को तवज्जो नहीं दी जिसमें उन्होंने महामारी से निपटने के तरीकों और अर्थव्यवस्था पर काफी प्रतिकूल प्रभाव पड़ने का जिक्र करते हुए इसकी आलोचना की थी। बजाज ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी से संवाद के दौरान यह बात कही थी। इस पर केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी ने कहा कि स्वास्थ्य संकट (Corona Crisis) को लेकर बजाज कोई विशेषज्ञ नहीं हैं। बीजेपी प्रवक्ता (आर्थिक मामला) गोपाल कृष्ण अग्रवाल ने कहा कि राहुल गांधी ने बातचीत के दौरान बजाज का इस्तेमाल अपने विचारों के लिए किया, जैसा कि विपक्ष के नेता अपने अधिकांश संवाद में करते हैं। उन्होंने कहा, ‘सभी को अपना विचार व्यक्त करने का अधिकार है लेकिन राजीव बजाज कोविड-19 और इससे निपटने के विषय पर कोई विशेषज्ञ नहीं हैं।’ बीजेपी नेता अमित मालवीय ने उद्योपति पर चुटकी लेते हुए कहा कि उन्होंने महामारी (Corona Pandemic) से निपटने के लिए लॉकडाउन लागू नहीं करने की स्वीडन की रणनीति की सराहना की जबकि देश के मुख्य महामारी विशेषज्ञ ने इसे गलती बताया था। वहीं, अग्रवाल ने कहा कि कई देश महामारी को लेकर अपनाये गए रुख में विफल रहे और इसका कोई तय पैटर्न नहीं है। बीजेपी नेता ने कहा कि सभी लोग जानते हैं कि लॉकडाउन कोई उपचार नहीं है। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन ने भारत को समय दिया कि वह महामारी से निपटने के लिए कमजोर स्वास्थ्य आधारभूत ढांचे को मजबूत बना सके। जब 25 मार्च को लॉकडाउन शुरू हुआ तब भारत के पास पीपीई निर्माण या फेस मास्क निर्माण की क्षमता नहीं थी और आयात पर निर्भर था । अब यह आधारभूत ढांचा तैयार कर लिया गया है। अग्रवाल ने कहा कि महामारी की गंभीरता के कारण लॉकडाउन लागू नहीं भी होता, तब भी अर्थव्यवस्था प्रभावित होती। सरकार के पास लोगों के जीवन को बचाना प्राथमिकता थी और उसने ऐसा ही किया।

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