किराया विवाद पर जावडेकर का जवाब, कहा- सब कांग्रेस की राजनीति
नई दिल्ली, 05 मई 2020, श्रमिक ट्रेनों से मजदूरों की घरवापसी पर राजनीति तेज हो गई है. कई जगहों पर मजदूर अपने घर जाने के लिए बेताब हो रहे हैं. इसमें कहीं मजदूर पत्थरबाजी कर रहे हैं तो कहीं पुलिस की लाठियां उनपर बरस रही हैं. इस बीच लॉकडाउन में फंसे प्रवासी मजदूरों को घर पहुंचाने के लिए चलाई जा रही स्पेशल ट्रेनों पर राजनीति और भी तेज हो गई है. कांग्रेस समेत कई विपक्षी दल आरोप लगा रहे हैं कि सरकार मजदूरों से रेल किराया वसूल रही है तो सरकार की तरफ से साफ किया गया है कि ऐसा कुछ भी नहीं. मजदूरों को लाने का 15 फीसदी खर्चा राज्य सरकारों को उठाना है जबकि 85 फीसदी केंद्र उठा रहा है.
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने सोमवार रात एक ट्वीट कर सरकार का पक्ष रखा और और कहा कि रेलवे विवाद के पीछे सच्चाई कुछ और है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकारें मजदूरों का किराया चुका रही हैं. प्रकाश जावडेकर ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि केवल राजस्थान में कांग्रेस सरकार, केरल में वामपंथी सरकार और महाराष्ट्र में शिवसेना गठबंधन किराये का पैसा नहीं चुका रहे. यह सब कांग्रेस की राजनीति है. जावडेकर ने कहा कि इस पर उन्हें (विपक्ष) शर्म आनी चाहिए.
कांग्रेस का गंभीर आरोप
इससे पहले कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर एक गंभीर आरोप लगाया कि जिन मजदूरों को उनके घर तक पहुंचाने के लिए स्पेशल श्रमिक ट्रेनें चलीं, उनमें मजदूरों से किराए वसूले गए. इसकी तस्दीक स्पेशल ट्रेन से आए मजदूरों ने भी कर दी. मजदूरों ने कहा कि उन्होंने टिकट का पूरा पैसा चुकाना पड़ा है. इसी मामले में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की तरफ से एक बयान आया जो सरकार पर तीखे आरोपों से लैस है.
उन्होंने कहा कि श्रमिक व कामगार राष्ट्रनिर्माण के दूत हैं. जब हम विदेशों में फंसे भारतीयों को अपना कर्तव्य समझकर हवाई जहाजों से निःशुल्क वापस लेकर आ सकते हैं, जब हम गुजरात के केवल एक सरकारी कार्यक्रम में सरकारी खजाने से 100 करोड़ रुपये ट्रांसपोर्ट व भोजन इत्यादि पर खर्च कर सकते हैं, जब रेल मंत्रालय प्रधानमंत्री के कोरोना फंड में 151 करोड़ रुपये दे सकता है तो फिर तरक्की के इन ध्वजवाहकों को आपदा की इस घड़ी में नि:शुल्क रेल यात्रा की सुविधा क्यों नहीं दे सकते?
राजनीति की इस कड़ी में सबसे पहले गरीब मजदूरों का सवाल महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने उठाया और केंद्र से अनुरोध किया था कि वो मजदूरों से पैसा न लें. बाद में कांग्रेस के मुख्यमंत्रियों ने भी ऐसी ही राय जताई. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी ऐसी बात कही.
सोनिया गांधी के बयान के बाद कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी का ट्वीट आया कि एक तरफ रेलवे दूसरे राज्यों में फंसे मजदूरों से टिकट का किराया वसूल रही है, वहीं दूसरी तरफ रेल मंत्रालय पीएम केयर्स फंड में 151 करोड़ रुपये का चंदा दे रहा है. इसके बाद कांग्रेस ने अपनी जेब से किराये का पैसा भरने की बात कही. यूपी के कांग्रेस अध्यक्ष अजय सिंह लल्लू ने कहा कि यूपी कांग्रेस मजूदरों के टिकट का पैसा चुकाएगी.
बीजेपी का जवाब
उधर संगीन आरोप लगे तो बीजेपी ने तुरंत जवाब दिया. बीजेपी के आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने ट्वीट किया कि गृह मंत्रालय की गाइडलाइन में स्पष्ट है कि स्टेशनों पर कोई टिकट नहीं बिकेगा. रेलवे 85 प्रतिशत सब्सिडी दे रही है तो 15 प्रतिशत खर्च राज्य सरकारें वहन करेंगी. प्रवासी मजदूरों को कोई पैसा नहीं देना है. सोनिया गांधी क्यों नहीं कांग्रेस शासित प्रदेशों को खर्च उठाने के लिए कहतीं? बता दें, प्रवासी मजदूरों के लिए रेल मंत्रालय राज्य सरकारों से राय बात करके ट्रेन चला रहा है. इसमें राज्य सरकारें तय करती हैं कि कहां से कहां ट्रेन चलनी है, किसको भेजना है और उसके लिए नोडल अधिकारी कौन होगा.
रेल किराये का 85 फीसदी हिस्सा केंद्र सरकार और 15 फीसदी हिस्सा राज्य सरकार को देना है. रेल मंत्रालय की तरफ से जारी दिशानिर्देश के 11वें भाग के तीसरे प्वाइंट में कहा गया है कि राज्य सरकार की स्थानीय अथॉरिटी यात्रियों को टिकट देकर जो किराया पाएंगी, वो रेलवे में जमा करेंगी. केंद्र के मुताबिक यहां राज्य सरकार से उसकी 15 फीसदी हिस्सेदारी वाली बात की गई है, लेकिन इस बीच यूपी लौटे मजदूरों का कहना है कि उन्होंने टिकट का पूरा पैसा दिया है.
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