विशेषज्ञ के मुताबिक भारत के पास कोरोना को कंट्रोल करने के लिए 30 दिन, जानें कितनी है तैयारी
नई दिल्ली
देश में कोरोना वायरस का खतरा दूसरे चरण में पहुंच चुका है। अभी तो वायरस से होने वाली बीमारी कोविड- 19 उन्हीं लोगों तक सीमित है जो प्रभावित देशों से लौटे हैं और जो संक्रमितों के संपर्क में आए हैं। सरकार अब आगे संक्रमण फैलने या कम-से-कम इसे अगले चरण में पहुंचने से रोकने की जीतोड़ कोशिश कर रही है। इस बीच भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के महानिदेशक (डायरेक्टर जनरल) बलराम भार्गव ने चेतावनी दी है कि भारत के पास इस मकसद को पूरा करने में महज 30 दिन का वक्त है।
अब तक संक्रमण का सीमित स्तर
उन्होंने कहा, 'भारत के पास 30 दिनों के करीब की समयसीमा है जिसके अंदर हम कोविड- 19 का संक्रमण सामुदायिक स्तर पर शुरू होने से रोक सकते हैं। इसके लिए तुरंत तत्परता दिखानी होगी।' दरअसल, भारत ने अब तक कोरोना वायरस के संक्रमण को सीमित स्थानीय स्तर पर रोके रखने में बखूबी कामयाबी पाई है। इस कारण वायरस का संक्रमण व्यक्तिगत स्तर पर ही सीमित है। देश के किसी भी इलाके में पूरा का पूरा समुदाय इसकी चपेट में नहीं आ रहा है। देश के सामने सबसे बड़ी चुनौती इसी संभावित खतरे पर आगे भी विराम लगाए रखना है।
तीसरे चरण के बाद चौथे चरण में फैलती है महामारी
दरअसल, वायरस के संक्रमण के तीसरे चरण में लोगों में व्यापक स्तर पर वायरस का प्रसार होने लगता है। इसके बाद चौथा चरण आता है जब बीमारी महामारी का रूप धारण कर लेती है। फिर इस पर काबू पाना बहुत कठिन हो जाता है और नियंत्रण में आते-आते यह बड़ी तादाद में लोगों को शिकार बना लेती है। चीन और इटली तो कोविड- 19 के छठे चरण में पहुंच चुके हैं जहां एक दिन में सैकड़ों लोगों की मौतें हो रही हैं।
सरकार का प्रयास संतोषजनक
भार्गव ने केंद्र सरकार के प्रयासों पर संतोष जाहिर करते हुए कहा कि सरकार हर संभव प्रयास कर रही है। वहीं, ICMR के मुख्य महामारी विशेषज्ञ डॉ. आरआर गंगाखेड़कर का कहना है कि अभी कोविड- 19 के लक्षण वालों की ही जांच हो रही है। उन्होंने कहा, 'अभी फ्लू के लक्षणों वाले हर व्यक्ति की जांच की जरूरत भी नहीं है क्योंकि अभी बीमारी का दायरा बेहद सीमित है। जो लोग कोरोना प्रभावित देशों से लौटे हैं और जो लोग इनके संपर्क में आए हैं, उनकी भी जांच की जरूरत तभी है जब उनमें बीमारी के कुछ लक्षण दिखें। ऐसा इसलिए क्योंकि बिना लक्षण की जांच के ज्यादातर रिजल्ट नेगेटिव आएंगे। तब वो आगे लक्षण दिखने के बाद भी लापरवाही दिखाएंगे। तब रोग के प्रसार का खतरा बढ़ जाएगा।' संस्था के वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर कोविड- 19 तीसरे चरण में पहुंचता है तो जांच को लेकर रणनीति बदल सकती है।
आगे की चुनौतियों के लिए कितनी तैयारी
बड़ा सवाल यह है कि क्या बीमारी के तीसरे चरण में पहुंचने पर जिस स्तर पर जांच की आवश्यकता होगी, उसकी पूरी तैयारी है? भार्गव कहते हैं कि अभी आईसीएमआर के नेटवर्क में 106 वायरस रिसर्च और डायग्नोस्टिक लैब्स हैं। उनके मुताबिक, इन लैब्स की क्षमता मौजूदा जरूरतों से ज्यादा है। इसके लिए समर्पित 51 लैब्स में हर दिन 4,590 जांच हो सकती है। अभी हमें सिर्फ 60 से 70 सैंपल्स ही मिल रहे हैं। भविष्य में अगर इनकी क्षमताओं का पूरा उपयोग हुआ और आगे और भी जरूरत पड़ी तो उसकी व्यवस्था की जाएगी।
अब तक 1.4% सैंपल्स ही पॉजिटिव
गौरतलब है कि देश में अब तक 6,500 सैंपल्स की जांच की है जिनमें सिर्फ 78 (1.4%) में ही संक्रमण की पुष्टि हुई है। आईसीएमआर के एक अधिकारी ने बताया, 'हमने चीन, ईरान और इटली से लाए गए करीब 1,000 लोगों की भी जांच की है।' उन्होंने कहा कि देश किसी भी परिस्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है।
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