-संगरिया में अस्त-व्यस्त ट्रैफिक, पैदल चलने को फुटपाथ के अभाव और हर तरफ प्रेशर हॉर्न के शोर की समस्या का मामला
संगरिया। संगरिया में अस्त-व्यस्त ट्रैफिक, पैदल चलने को फुटपाथ के अभाव और हर तरफ प्रेशर हॉर्न के शोर की समस्या के बारे में वरिष्ठ सिविल न्यायालय द्वारा सुनाए गए फैसले के खिलाफ प्रस्तुत अपील को अपर जिला न्यायाधीश डॉ. नरेन्द्र सिंह राठौड़ ने नामंजूर कर निरस्त कर दिया है। अपर जिला न्यायाधीश ने सिविल न्यायालय के निर्णय की पुष्टि कर दी है।
न्यायाधीश ने आदेश में लिखा है कि अपीलार्थी यह दर्शाने में असफल रहे हैं कि उनके द्वारा संगरिया नगर पालिका क्षेत्र की यातायात समस्या को सुचारू व सुदृढ़ करने के लिए कोई प्रभावी प्रयास किए जा रहे हैं। लिहाजा, अपील खारिज किए जाने योग्य है।
यह अपील जिला कलक्टर, जिला पुलिस अधीक्षक, उपखंड अधिकारी संगरिया, पुलिस उप अधीक्षक संगरिया, थानाधिकारी संगरिया, नगर पालिका संगरिया, पालिका के अधिशासी अधिकारी तथा पालिकाध्यक्ष की ओर से पेश की गई थी। उन्होंने अपील में सिविल न्यायसालय के फैसले को कतई गलत और विधि विरुद्ध बताते हुए कहा था कि अधीनस्थ न्यायालय ने पत्रावली एवं उपलब्ध साक्ष्यों का सही विवेचन नहीं किया। इसलिए यह फैसला निरस्त करने योग्य है।
उपभोक्ता संरक्षण समिति की ओर से पेश हुए एडवोकेट संजय आर्य ने कहा कि अधीनस्थ न्यायालय ने फैसले में नगर पालिका, पुलिस व प्रशासन को पालिका क्षेत्र में यातयात और पार्किंग व्यवस्था सुनिश्चित करने का आदेश दिया है। इसमें कोई विधि व तथ्य संबंधी कोई त्रुटि नहीं है।
गौरतलब है कि संगरिया में अस्त-व्यस्त ट्रैफिक, पैदल चलने को फुटपाथ के अभाव और हर तरफ प्रेशर हॉर्न के शोर की समस्या के बारे में एडवोकेट संजय आर्य की ओर से पेश लोकहित वाद पर सुनवाई और बहस पूरी होने के बाद वरिष्ठ सिविल न्यायाधीश ने 16 जनवरी 2019 को फैसला सुनाया था। न्यायाधीश ने संगरिया नगर पालिका क्षेत्र में आवासीय, व्यवसायिक तथा सार्वजनिक स्थानों पर पार्किंग स्थल चिन्हित कर आरक्षित करने, आवागमन बाधित करने वाले वाहनों को हटाने, शहर में सुविधा और समय अनुसार भारी वाहनों का प्रवेश निषेध करने एवं सार्वजनिक मार्ग, अस्पताल, स्कूल, न्यायालय परिसर आदि को हॉर्न निषिद्ध क्षेत्र घोषित करने की व्यवस्था एवं कार्यवाही सुनिश्चित करने के आदेश प्रशासन तथा संबंधित विभागों को दे दिए थे। इस फैसले के खिलाफ संबंधित अधिकारियों ने अपर जिला न्यायालय में अपील की थी।