हनुमानगढ़ में मुकाबला रोचक, चिप्स के पैकेट की तरह लग रही है हवा , धरातल पर वोट कम बनावटी हवा है ज्यादा
मदन अरोड़ा।विधानसभा चुनाव का प्रचार चरम पर है।हनुमानगढ़ जिले की पांच विधानसभा क्षेत्रों में से सर्वाधिक चर्चा हनुमानगढ़ को लेकर हैं।जहां नगर परिषद सभापति गणेशराज बंसल ने मुकाबला रोचक बना दिया है।कांग्रेस के बागी गणेशराज विकास को मुद्दा बना चुनाव लड़ रहे हैं। शहर में उनकी बिरादरी हवा बनाने में जुटी है। भीड़ दिखा हवा बनाने के लिए खुद गणेशराज एक बड़े काफिले के साथ प्रचार में जा रहे हैं।उनकी बिरादरी भी दो धड़ों में साफ बंटी हुई दिख रही है।पैसा शराब सब कुछ पानी की तरह बहाया जा रहा है।चुनाव जीतने का हर जतन गणेशराज की ओर से आजमाया जा रहा है।गणेशराज के समर्थक उनकी जीत को लेकर बड़े बड़े दावे किए जा रहे हैं।पर क्या चुनाव जीतना इतना आसान है।क्या जो हवा शहर में बनाई जा रही है।उसके बलबूते चुनाव जीता जा सकता है।कहीं यह हवा चिप्स के उस पैकेट की तरह तो नहीं है ,जिसमें हवा ज्यादा और चिप्स कम होते हैं।क्या शहर की हवा बना, बिना गांवों के वोटों से चुनाव जीता जा सकता है।विशेषरूप से जब शहर के मुकाबले ग्रामीण वोट ज्यादा हों।जहां के वोट ही जीत का सेहरा बांधते आ रहे हों।
हनुमानगढ़ विधानसभा क्षेत्र में इस बार कुल 2 लाख 97 हजार 552 मतदाता हैं।इनमें 1 लाख 54 हजार 289 पुरुष और 1 लाख 43 हजार 253 महिला मतदाता हैं।2018 के चुनाव में यहां 83.20 फीसदी मतदान हुआ था।विजयी कांग्रेस प्रत्याशी चौ.विनोद कुमार को 1 लाख 11 हजार 207 मत मिले थे।जो कुल वैध मतों का 49.87 फीसदी रहा।भाजपा के डॉ. रामप्रताप को 95 हजार 685 मत मिले थे जो 42.91 फीसदी रहा।बाकी 11 उम्मीदवारों को 13976 यानी कुल 6.22 फीसदी और नोटा को 2215 ( 0.99 फीसदी )मत गए थे।टाउन -जंक्शन के कुल 84 हजार 376 जबकि गांवों के 1लाख 39हजार 443 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। चौ.विनोद कुमार को शहर से 40 हजार 963 और ग्रामीण क्षेत्रों से 70 हजार 244 मत मिले।जबकि भाजपा के डॉ. रामप्रताप को शहर से 36 हजार 654 और ग्रामीण क्षेत्रों से 59 हजार 231 मत हासिल हुए थे।साफ है चुनाव जीतने के लिए शहर के साथ उससे ज्यादा बड़ी जीत गांवों से चाहिए।ग्रामीण क्षेत्रों से कम से कम 60 हजार वोट लिए बिना चुनाव नहीं जीता जा सकता।वह भी तब जब कांटे का त्रिकोणीय मुकाबला हो।सीधे मुकाबले में कम से कम 70 हजार के आसपास मतों की जरूरत होगी। राष्ट्रीय पार्टियों का निष्ठावान, समर्पित कार्यकर्ताओं और लाभार्थी वर्ग का अपना एक वोट बैंक होता है। कर्मचारी भी माहौल देख प्रमुख पार्टियों के उम्मीदवार के पक्ष में मतदान करते हैं।जीत में कुछ ऐसे वोट भी होते हैं जो साइलेंट होते हैं और मतदान के समय आने वाली सरकार की पार्टी और जीत रहे उम्मीदवार के अनुसार मतदान करते हैं।निर्दलीय उम्मीदवारों के साथ जहां कार्यकर्ताओं का अभाव का संकट होता है।बूथ पर बिठाने के लिए लोग नहीं होते।समर्पित कार्यकर्ता और लाभार्थी वर्ग भी नहीं होता। ऐसे में निर्दलीय उम्मीदवार को जीत के लिए किसी बड़े चमत्कार की जरूरत होती है। हनुमानगढ़ में कोई ऐसा चमत्कार होता लग नहीं रहा।दोनों राष्ट्रीय पार्टियों में कोई बहुत बड़ा अप्रत्याशित बिखराव होता भी नहीं दिख रहा है। छोटी टूट के अलावा जो जातीय उम्मीदवार की वजह से होती दिख रही है।कोई बड़ा विद्रोह नहीं दिखाई दे रहा है। अलबत्ता कांग्रेस से सभापति गणेशराज की बगावत कर बागी उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने से नुकसान होता दिख रहा है।भाजपा के कुछ लोग भी गणेशराज के साथ जुड़े हैं।लरकीं इतना हर चुनाव में देखने को मिलता आया है।पैसों और शराब के जरिये गणेशराज कुछ लोगों को अपने साथ जोड़ने में कामयाब हो गए हैं तो ठेकेदारों की जमात जैसे लोग मजबूरी के चलते साथ दे रहे हैं।कुछ व्यापारी खुल कर साथ दे रहे हैं तो अधिकांश उनके कार्यकलापों के भय से चुप हैं।उनका कोई नुकसान न हो जाये इसलिए अपनी विचारधारा की पार्टियों के साथ चलने में डर महसूस कर रहे हैं।जो मुखर व्यापारी है, वह ज्यादा हवा बना रहा है। निर्दलीय गणेशराज गांवों में पैसे देकर अपने लिए समर्थन जुटाने में लगे हैं। नशेड़ी और लालची लोग इसके चलते हवा बनाने में जुटे हैं। ऐसा नहीं है कि हर गांव में पैसे देने से उन्हें फायदा मिल रहा है।इसके दुष्परिणाम भी दिखने लगे हैं। गांव जोरावरपुरा में उन्होंने डेरे के महंत को 9 लाख की कार देने का लालच दिखा समर्थन हासिल कर लिया।गांव के लोगों को जब इसका पता चला तो उन्होंने महंत को तत्काल डेरा खाली करने की चेतावनी दे डाली।गांवों में पैसा और शराब बांटने से लोगों में गलत संदेश जाने से इसका नुकसान होता दिखाई देने लगा है।पैसों से सभा तो हो रही है लेकिन मतदाताओं का जुड़ाव नहीं हो पा रहा है।
25 नवंबर को मतदान 83 फीसदी के आसपास ही रहने की संभावना जताई जा रही है।यदि ऐसा होता है तो कुल 2लाख 46 हजार के करीब मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे।जो पिछले चुनाव की तुलना में मतदाताओं की संख्या बढ़ने के कारण 23 हजार अधिक होगा। पिछले चुनाव में विजयी उम्मीदवार चौ.विनोद कुमार को 1 लाख 11 हजार 207 जबकि दूसरे स्थान पर रहने वाले डॉ. रामप्रताप को 95 हजार 685 मत मिले थे।आगामी चुनाव में भी वही उम्मीदवार चुनाव जीत पायेगा, जिसका आंकड़ा 1 लाख के आसपास होगा। शहर में पिछली बार 84 हजार 376 वोट पोल हुए थे।इस बार 90 हजार पोल होने की संभावना है।गांवों में पिछली बार 1लाख 39 हजार443 वोट पोल हुए थे ।इस बार 83 फीसदी के हिसाब से 1 लाख 56 हजार 943 वोट डाले जाने की संभावना है।शहर में जहां त्रिकोणीय मुकाबला है, वहीं गांवों में भाजपा और कांग्रेस के बीच ही मुकाबला है। निर्दलीय गणेशराज दूरदराज के मुस्लिम बाहुल्य लखूवाली सहित शहर के आसपास के दो दर्जन गांवों सम्पतनगर, रोडावाली, जोड़कियाँ,जंडावाली,नवां,ढालिया,गाड़ू,चक ज्वालासिंह वाला,सतीपुरा,धोलीपाल, मक्कासर,2 केएन जी,अमरपुरा थेड़ी,झाम्बर,नंदराम की ढाणी,7एस एस डब्ल्यू,गुरुसर,9 एस एस डब्ल्यू,14 एस एस डब्ल्यू,कोहला, श्रीनगर,गंगागढ़,थेडीनाथान, में ही अपनी उपस्थिति दिखा पा रहे हैं।इन दो दर्जन गांवों में कुल 55557 वोट पिछली बार पोल हुए थे।इनमें से भी कोहला में जहां 3 हजार वोट पोल हुए ,वहां पंचायत की ओर से पूरा गांव गणेशराज के खिलाफ पिछले करीब 4 माह से आंदोलनरत है। कुल 268 बूथ में से ग्रामीण क्षेत्र के 100 बूथ ऐसे हैं जहां उनका असर बिल्कुल नहीं दिखाई दे रहा है।वहां बूथ पर बिठाने के लिए कार्यकर्ता तक नहीं है।इन बूथों पर पिछली बार 90 हजार वोट पोल हुए थे।यहां सीधा मुकाबला भाजपा और कांग्रेस में है।जिसमे भाजपा 60 फीसदी और कांग्रेस 40 फीसदी वोट ले जाती साफ साफ दिखाई दे रही है।गणेशराज बंसल शहर में पोल होने वाले सम्भावित 90हजार और दो दर्जन गांवों में पोल होने जा रहे सम्भावित 56 हजार वोट यानी कुल 1 लाख 46 हजार वोट के अलावा कहीं दिखाई नहीं दे रहे।चुनाव जीतने के लिए कम से कम 1 लाख वोट की जरूरत होगी। जिसके आसपास भी निर्दलीय गणेशराज दिखाई नहीं दे रहे हैं।उसे शहर के सम्भावित पोल होने वाले 90 हजार वोट में से हवा के हिसाब से 35 से 40 हजार और गांवों से अधिकतम 15 से 20 हजार वोट मिलते दिख रहे हैं।जबकि इससे कहीं ज्यादा वोट भाजपा का उम्मीदवार केवल गांवों से लेता साफ दिखाई दे रहा है। गांवों और शहर से मिल रहे वोट मिलाने से भाजपा उम्मीदवार अमित सहू पहले नम्बर पर है और उनकी जीत पक्की मानी जा रही है।उसे 90 हजार से अधिक वोट मिलते साफ दिख रहे हैं जबकि कांग्रेस के उम्मीदवार को गणेशराज की चुनौती के चलते शहर से भले ही कुछ वोट कम मिलें लेकिन गांवों में वे गणेशराज से अधिक वोट हासिल कर रहे हैं। मतदान से पहले अगर अपनी सम्भावित हार को देखते हुए बंसल ने पैसा और शराब बांटना बंद कर दिया तो उसको मिलने वाले वोटों की संख्या 50 हजार से नीचे ही रहेगी।इस बार ठीक वैसा माहौल बनता जा रहा है ।जैसा 2008 में जसपाल सिंह को लेकर बना था।उस चुनाव में भाई जसपाल सिंह जो बसपा से उम्मीदवार थे,की जीत पक्की मानी जा रही थी।लेकिन जब चुनाव परिणाम आया तो वे करीब 32 हजार वोटों के साथ तीसरे नम्बर पर थे।अब भी कमोबेश वैसा ही होता दिख रहा है।लड़ाई दूसरे और तीसरे स्थान को लेकर कांग्रेस के चौ.विनोदकुमार और निर्दलीय गणेशराज बंसल के बीच है।यदि कोई बड़ा चमत्कार नहीं हुआ तो गणेशराज का तीसरा स्थान पक्का है।घोटालों वाले विकास के अलावा गणेशराज बंसल ने ऐसा कोई काम नहीं किया ,जिसको देख कोई मतदाता उन्हें वोट देने के लिए सोचे और वोट दे।