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अफगान दूतावास ने उखाड़ फेकी अशरफ गनी की तस्‍वीर, अमरुल्‍ला सालेह को बताया राष्‍ट्रपति

दुशांबे अफगानिस्‍तान के राष्‍ट्रपति अशरफ गनी के देश छोड़ने के बाद उप राष्‍ट्रपति अमरुल्‍ला सालेह ने खुद को देश का राष्‍ट्रपति घोषित कर दिया है। सालेह की घोषणा का असर अब दिखने लगा है। ताजिकिस्‍तान में अफगानिस्‍तान के दूतावास ने अशरफ गनी की तस्‍वीर को उखाड़ फेंका है और उसकी जगह पर अब अमरुल्‍ला सालेह की तस्‍वीर लगा दी है। यही नहीं पंजशीर के शेर कहे जाने वाले कमांडर अहमद शाह मसूद की भी तस्‍वीर लगाई गई है। माना जा रहा है कि ताजिकिस्‍तान में अफगान दूतावास ने खुलकर सालेह का समर्थन कर दिया है। ताजिकिस्‍तान अफगानिस्‍तान से सटा हुआ देश है और सालेह भी ताजिक मूल के हैं। इस ऐलान के बाद तालिबान का पारा चढ़ना तय माना जा रहा है। इससे पहले अशरफ गनी के देश छोड़कर भाग जाने के बाद अमरुल्लाह सालेह ने खुद को अफगानिस्‍तान का राष्ट्रपति घोषित कर दिया था। उन्होंने अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन पर भी निशाना साधते हुए कहा कि उनसे बहस करना अब बेकार है। 'अफगानिस्तान पर जो बाइडेन से बहस करना बेकार' सालेह ने नॉर्दन अलायंस की तरह अफगान नागरिकों से तालिबान के विरोध में खड़े होने की भी अपील की है। अमरुल्लाह सालेह ने ट्वीट कर कहा कि अफगानिस्तान के संविधान के अनुसार, राष्ट्रपति की अनुपस्थिति, पलायन, इस्तीफा या मृत्यु में उपराष्ट्रपति कार्यवाहक राष्ट्रपति बन जाता है। मैं वर्तमान में अपने देश के अंदर हूं और वैध देखभाल करने वाला राष्ट्रपति हूं। मैं सभी नेताओं से उनके समर्थन और आम सहमति के लिए संपर्क कर रहा हूं। उन्होंने दूसरे ट्वीट में अमेरिका पर निशाना साधते हुए कहा कि अब अफगानिस्तान पर जो बाइडेन से बहस करना बेकार है। उसे जाने दो। हमें अफगानों को यह साबित करना होगा कि अफगानिस्तान वियतनाम नहीं है और तालिबान भी दूर से वियतनामी कम्यूनिस्ट की तरह नहीं हैं। यूएस-नाटो के विपरीत हमने हौसला नहीं खोया है और आगे अपार संभावनाएं देख रहे हैं। चेतावनियां समाप्त हो गई हैं। प्रतिरोध में शामिल हों। पाकिस्‍तानी करते हैं सालेह से नफरत सालेह को अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए ने भी ट्रेनिंग दिया है। सालेह ने अपने जासूसों का ऐसा नेटवर्क तैयार किया है जो उन्‍हें अफगानिस्‍तान से लेकर पाकिस्‍तान तक में तालिबान और आईएसआई की हरकतों पर नजर रखने में मदद करता है। कहा जाता है कि सालेह के भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ से अच्‍छे रिश्‍ते हैं। सालेह की इस दोस्‍ती की वजह से पाकिस्‍तानी उनसे नफरत करते हैं। जिहादियों के खिलाफ उनके सख्‍त कदमों के कारण तालिबान के वह सबसे बड़े दुश्‍मन हैं। तालिबानी सालेह को पकड़ना चाहते थे लेकिन वह चुपके से पंजशीर घाटी चले गए जो विद्रोहियों का अभेद्य किला है।

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